मित्रो !
आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी पर बहुत-बहुत बधाई, आप सभी को जन्माष्टमी मंगलमय हो। इस अवसर पर आपके
समक्ष श्रीमद भगवद्गीता के अध्याय 4 से श्लोक 7 व 8 प्रस्तुत कर रहा हूँ।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
हे भारतवंशी अर्जुन! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म
की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं
अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से प्रकट होता हूँ।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म
की स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूँ।
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