- मित्रो !प्रत्येक व्यक्ति सतो, रजो और तमो, तीन गुणों वाली प्रकृति के साथ जन्म लेता है। मनुष्य के जीवन में जिस क्षण पर जो गुण प्रधान (dominant) होता है, उस क्षण पर वह उसी गुण के अनुरूप कार्य एवं आचरण करता है।मनुष्य खान-पान, रहन-सहन और आचार-विचार में परिवर्तन कर अपनी प्रकृति में इच्छानुसार किसी भी गुण की प्रधानता को बढ़ा सकता है। अच्छी और बुरी संगति के प्रभाव से भी गुण (सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण) प्रभावित होते हैं। कभी-कभी कटु बचनों से भी गुणों की प्रधानता में अचानक परिवर्तन हो जाता है। गुणों में परिवर्तन के कारण ही लुटेरे बाल्मीकि महर्षि बाल्मीकि बने और उन्होंने हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थ रामायण की रचना की। नारी आकर्षण से ग्रस्त तुलसी दास के अंदर पत्नी द्वारा कही गयी बातों से गुणों में परिवर्तन हुआ और वे गोस्वामी तुलसी दास कहलाये तथा उन्होंने पवित्र ग्रन्थ राम चरित मानस की रचना की। आचरण द्वारा तामसी प्रवृत्ति रखने वाला व्यक्ति सात्विकी प्रकृति का व्यक्ति बन जाता है।
Peace, Co-existence, Universal Approach Towards Religion, Life, GOD, Prayer, Truth, Practical Life, etc.
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