मित्रो !
मनुष्य अपने को ईश्वर के रंग में रंगने के बजाय ईश्वर को ही अपने अनेक रंगों में रंगने में व्यस्त है। ऐसा करके वह अपनी सीमित सोच से असीमित की रचना का असफल प्रयास कर रहा है।
रचना से रचयिता सभी मायनो में बड़ा होता है। ईश्वर इस जगत में समस्त जड़ और चेतन, जिनमें मनुष्य भी शामिल है, का रचयिता है। इसलिए जगत में समस्त जड़ और चेतन से ईश्वर बड़ा है। अतः किसी भी जड़ या चेतन में ईश्वर की रचना कर पाने की योग्यता और क्षमता नहीं है।
Man
is busy in painting the picture of God in his many colors instead of dyeing himself in the
color of God. By doing so, he is making an unsuccessful attempt to create the
Infinite with his limited capacities.
A
creator, in all respects, is always
greater than his creation. God is the creator of this Universe and all
inanimates and animates including a man. Therefore, God, in all respects is
greater than all animates and inanimates. Therefore, no animate or inanimate
has ability and the capability to create God.
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