Tuesday, September 16, 2008

मेरा प्यार

आती है याद तुम्हारी जब भी,
शीशे में एक अक्स उतार लेता हूँ।
पहले निहारता हूँ तुम्हें अपलक फिर,
आंखों के रास्ते दिल में उतार लेता हूँ।
चाहता है दिल एक तस्वीर बनाने को जब,
कनबस या कागज़ पर रंग बिखेर लेता हूँ।
सपनों की दुनियाँ में खोकर जब,
रोक नहीं पाता तुम्हारी यादों को,
बनाता हूँ हवा में सुंदर सा तुम्हारा बुत,
और उसमें तुम्हें जी भर निहार लेता हूँ।  

APPRECIATION
Whenever you come to my memory,
I visualize reflection of you in a mirror before me.
I espy you without closing my eyelids,
And then I take you in my heart through my eyes.
When my heart desires to draw a picture of you,
I spread colours on some paper or canvass.
When I am lost in the world of imagination,
And I fail in restricting your remembrances,
In the air I make a beautiful idol of you,
And there I catch behold of you to my satisfaction.

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