किसी व्यक्ति का धरम उसके कृत्यों और आचरण से जाना जाना चाहिए न कि उसके एक धर्म विशेष के अनुयायियों के परिवार में जन्म लेने से। अगर धर्म आजीवन जन्म से रहता तब -
(१) धर्म परिवर्तन संभव नहीं होता ; और (२) अधर्म या अधर्मी जैसे शब्द अस्तित्व में नहीं होते ।
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