Friday, May 25, 2018

ठहरें और सोचें : STOP and THINK


Friends !
       क्या  हिंसा  और नफ़रत के चलते हमारी गौरवशाली संस्कृति और इतिहास कलंकित नहीं हो रहे हैं।  यदि हाँ, तब इसके लिए दोषी कौन है। ऐसा करके क्या हम समाज और इंसानियत को शर्मसार नहीं कर रहे हैं?

             Whether our glorious culture and history are not being tarnished due to violence and hatred. If yes, then who is the culprit for it. By doing so, are we not embarrassing society and humanity?



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