मित्रो !
प्यार की भावना ईश्वर की अनमोल देन है। प्रत्येक प्राणी के अन्दर प्यार का अक्षय एवं असीमित भण्डार होता है। इसमें से जितना प्राणी खर्च करता है ईश्वर उतने की प्रतिपूर्ति कर देता है।
जो प्यार से अनभिज्ञ रहता है या जानकार होने के बाद भी इसे खर्च नहीं करता वह घाटे में रहता है। जो प्यार को जानता है और खर्च करता है वह खुशियाँ बिखेरता और समेटता रहता है , उसका जीवन हरे-भरे बगीचे के समान होता है।
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