Friends!
We are putting more emphasis on
physical satisfaction than spiritual satisfaction. This is becoming the cause of the destruction of the world as well as of eternal values and the society.
शारीरिक संतुष्टि कहाँ
तक उचित
मित्रो!
वर्तमान में हम आत्मिक संतुष्टि के बजाय शारीरिक संतुष्टि पर अधिक जोर दे रहे हैं। यह समाज और शाश्वत मूल्यों के साथ - साथ जगत के विनाश का कारण बन रहा है।
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