मित्रो !
भौतिक शरीर या उसके किसी अंग में किसी कारणवश विकृति या विकार आ जाने से शारीरिक पीड़ा उत्पन्न होती है जबकि मोह और अज्ञान से सभी मानसिक दुःख उत्पन्न होते हैं। सादगी और उचित आहार-विहार से शारीरिक कष्ट तथा मोह त्याग से मानसिक कष्ट कम किये जा सकते हैं।
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