मित्रो !
मेरे विचार
से दुर्गम स्थानों
पर देवालय बनाने
का उद्देश्य मनुष्य
के मन में
ईश्वर के प्रति
आस्था को और अधिक सुदृढ़ करने
का रहा था। वर्तमान
में अनेक देवालयों
के दुर्गम रास्तों
को सुगम रास्तों
में बदले जाने
से ऐसे स्थान
आस्था के केंद्रों
के बजाय पर्यटन
स्थल अधिक बनते
जा रहे हैं
जिससे लगातार ईश्वर
के प्रति आस्था
कमजोर हो रही
है।
ऐसा होने से पर्यावरण और प्रकृति पर भी प्रतिकूल
प्रभाव पड़ रहा है। तीर्थ स्थलों की पवित्रता भी प्रभावित हो रही है।
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