Saturday, September 5, 2015

समग्रता पर विचार अपरिहार्य


मित्रो ! 

     कुछ समय पूर्व मैंने एक पोस्ट "अधूरा आकलन" शीर्षक से प्रकाशित की थी। इसमें मैंने विचार व्यक्त किया था कि आकलन सम्पूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए। मेरा यह विचार निम्नलिखित संस्मरण पर आधारित था। 
    जब मैं गणित से एम. एससी. द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रहा था तब सांख्यकी के प्रश्न पत्र में निम्नलिखित प्रश्न भी था :
प्रश्न : निम्नलिखित स्टेटमेंट पर टिप्पणी करें :
     शराब पीने वाले लोगों में से 99 % लोग 100 वर्ष की उम्र से पहले ही मर जाते हैं। इसलिए शराब पीना दीर्घायु के लिए खराब है।
मेरा उत्तर: जो आंकड़े दिए गए हैं उनके आधार पर निकाला गया निष्कर्ष उचित नहीं है। यह अध्ययन नहीं किया गया है कि शराब न पीने वालों में कितने प्रतिशत लोग 100 वर्ष से पहले ही मर जाते हैं, शराब पीने वाले जिन लोगों पर अध्ययन किया गया है उन पर इसका अध्ययन नहीं किया गया है कि मरने वाले लोगों में कितने प्रतिशत ऐसे लोग रहे थे जिनके मरने का कारण शराब पीना नहीं रहा था। इन कारणों से निकाला गया निष्कर्ष उचित नहीं है।
     मेरा विचार है कि हमारे देश की जनता के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए योजनाएं बनाने से पूर्व विभिन पहलुओं से अध्ययन किया जाना चाहिए। यही जनसँख्या नियंत्रण के सम्बन्ध में भी लागू होता है। जन गणना का कार्य इस दृष्टी से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। पैरामीटर्स के निर्धारण का कार्य अत्यंत महत्व का है। समग्र तथ्यों, परिस्थितियों और कारणों पर विचार किये बिना बनायीं गयी योजनाएं अधिक प्रभावी नहीं मानीं जा सकतीं।


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