Sunday, February 28, 2016

अक्षय पूँजी

मित्रो !
        ईमानदारी, विनम्रता, सज्जनता, सादगी, दया और मधुर वाणी जैसे आभूषण जिसके पास हैं और जो इनकी महत्ता को जानता है उसके पास अतुलनीय अक्षय पूँजी होती है। इस कारण ऐसे व्यक्ति के लिए अन्य किसी आभूषण, हीरे-जवाहरात, रुपये- पैसे का कोई मोल नहीं होता।

        महत्वपूर्ण यह है कि अक्षय पूँजी अर्जित करने के लिए किसी आर्थिक पूँजी निवेश की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय पूँजी का चलन यूनिवर्सल है, यह भौगोलिक सीमाओं से मुक्त है। इसकी मान्यता लोक में होने के साथ-साथ परलोक में भी है। ऐसा शायद इसलिए है कि इसे ईश्वर की भी मान्यता प्राप्त है।
        आभूषण, हीरे-जवाहरात, रुपये-पैसे रुपी पूँजी खर्च करने के साथ घटती जाती है, ऐसी पूँजी में ह्रास चिंता का विषय बनता है और पूँजी समाप्त होने पर व्यक्ति कंगाल हो जाता है। किन्तु ईमानदारी, विनम्रता, सज्जनता, सादगी, दया और मधुर वाणी रुपी पूँजी ज्यों-ज्यों खर्च की जाती है त्यों-त्यों बढ़ती जाती है, व्यक्ति लगातार ख़ुशी का अनुभव करता है और वह उत्तरोत्तर माला-माल होता जाता है।



Friday, February 26, 2016

सफलता के मूल में क्या है?


मित्रो !
         किसी कार्य को करने में सफल होने के लिए इच्छा, इच्छाशक्ति, ज्ञान और साधनों की आवश्यकता होती है। इनमें से किसी एक की भी अनुपस्थिति में कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण नहीं होता। 
         इच्छा हमें कार्य करने के लिए प्रेरित करती है, इच्छाशक्ति हमारे द्वारा कार्य को करने का दृढ़ संकल्प होता है जिसके कारण कार्य करने में आने वाली दिक्कतों पर हम विजय पाते हैं, इच्छाशक्ति हमें कार्य को अधूरा नहीं छोड़ने देती। ज्ञान हमें कार्य करने का तरीका बताता है। साधनों के अंतर्गत कार्य को करने के लिए आवश्यक सामिग्री, उपकरण, श्रम और शक्ति आते हैं। कोई भी कार्य प्रारम्भ करने से पहले हमें इन चारों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लेनी चाहिए।


Thursday, February 25, 2016

इच्छाओं के बिना जीवन नहीं : No Life Without Desires


मित्रो !
        हम इच्छा विहीन क्रियाशील जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। जब तक इच्छायें है तभी तक हमारा जीवन क्रियाशील है। किन्तु अनियंत्रित इच्छायें बेलगाम घोड़ों की तरह है। सदमार्ग पर बने रहने के लिए इच्छाओं पर नियंत्रण आवश्यक है। 


        We cannot imagine functional life without desires. As long as desires are there, our life is active. But uncontrolled desires are like unbridled horses. To be on right path, it is necessary to have control over desires.


Tuesday, February 23, 2016

परिस्थितियों से समझौता : Compromise With the Circumstances


मित्रो !
         प्रतिकूल परिस्थितियों के रहते लक्ष्य या उद्देश्य की प्राप्ति संभव नहीं होती। ऐसे में जहाँ उपलब्ध परिस्थितियों में लक्ष्य प्राप्त करना संभव न हो वहाँ लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुकूल परिस्थितयां पैदा करने और जहाँ ऐसा सम्भव न हो वहाँ परिस्थितियों के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करने में ही बुद्धिमानी होती है।



        जहाँ परिस्थितियों को नहीं बदला जा सकता वहाँ परिस्थितियों से समझौता कर लेने में ही बुद्धिमानी होती है। 
        Where circumstances cannot be changed, it is wise to compromise with the circumstances.


Monday, February 22, 2016

अच्छी छवि ही सम्मान योग्य

मित्रो !
        जो व्यक्ति अपनी छवि की रक्षा और सम्मान नहीं करता उसका किसी सज्जन व्यक्ति से सम्मान पाने की आशा करना व्यर्थ है। कोई चाटुकार या स्वार्थी व्यक्ति ही ऐसे व्यक्ति का सम्मान कर सकता है।


Saturday, February 20, 2016

आस्थावान को ही दिखता है ईश्वर : Only Devotee Sees the God

  • मित्रो !
             जिस व्यक्ति की ईश्वर में आस्था होती है वह व्यक्ति ईश्वर की उपस्थिति को किसी भी समय अनुभव कर सकता है। अनास्थावान ईश्वर की उपस्थिति को कभी भी अनुभव नहीं कर सकता क्योंकि अनास्थावान का ईश्वर होता ही नहीं। 
            ईश्वर के लिए, उसमें आस्था रखने वाले और उसमें आस्था न रखने वाले, सभी उसके बच्चे हैं किन्तु आस्था रखने वालों के लिए उनका ईश्वर है और अनास्था रखने वालों के लिए ईश्वर जैसा कुछ भी नहीं है। ऐसी स्थिति में अनास्थावान का ईश्वर से साक्षात्कार होने पर भी वह ईश्वर को नहीं देख सकेगा।

Thursday, February 18, 2016

आईने में स्वावलोकन : Self-observation in Mirror


मित्रो !
        स्वयं को आईने में देखकर समाज में स्वयं के अच्छा दिखने का निर्णय नहीं किया जा सकता क्योंकि देखने वाली आँखें अपनी होतीं हैं। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए उसे समाज के आईने में अपने को देखना चाहिए।
        

मेरे विचार से शायद इसी कारण से विवाहित स्त्रियां आईने के सामने सजने-संवरने के बाद भी अपने पति से पूछती हैं कि उनके द्वारा धारण किये हुए वस्त्रों में वे कैसी दिख रहीं हैं। मेरे विचार से अपने को समाज के आईने में देखने का यह सही दृष्टिकोण है।



जिन्दगी छोटी न करें : Do Not Shorten Your Life by Wasting or Killing Your Time


मित्रो !

        खाली वक़्त में समय-चक्र के थम जाने का भ्रम होता है, पर वास्तविकता यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं है, खाली बैठने से केवल वक़्त ही बर्बाद नहीं होता, व्यक्ति जल्दी बूढ़ा हो जाता है और जिन्दगी भी छोटी हो जाती है। जीवन वही जो जिया जाय। 
        अगर कुछ भी करने को नहीं है तब कुछ ज्ञान - ध्यान की बातें या अभ्यास ही कर लें। यह भी हमारे काम की चीजें हैं। 


Tuesday, February 16, 2016

अंतरात्मा और छवि का रिश्ता : Conscience and Image Relationship

मित्रो !

         अच्छी छवि रखने वाले व्यक्ति की अंतरात्मा की अबाज उसे हमेशा सुनाई देती है, वहीँ पर ख़राब छवि वाले व्यक्ति द्वारा अपनी अंतरात्मा की आवाज की उपेक्षा के कारण उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देना बंद हो चुका होता है। व्यक्ति को अन्तरात्मा की आवाज सुनाई देती रहे, इसके लिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी सोच और छवि को साफ़-सुथरा रखे, अमानवीय कृत्यों के करने से बचे और अपने आचरण में दैवीय गुणों को शामिल करे। दैवीय गुणों से मेरा अभिप्राय स्वभाव में दया, क्षमा, विनम्रता, सहनशीलता, भाईचारा, आदि गुणों के होने से है।
        मनुष्य की अच्छी और ख़राब छवि का निर्माण उसके विचारों और बाह्य जगत में उसके आचरण से होता है। मेरा मानना है कि व्यक्ति की अपनी अन्तरात्मा और उसकी छवि में गहरा सम्बन्ध होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी अन्तरात्मा की उपेक्षा किये बिना कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता जिससे उसकी छवि ख़राब होती हो।


Monday, February 15, 2016

ख़ुशी के प्रबंधन की आवश्यकता Need of Happiness Management


मित्रो !

        हम अपने जीवन भर ख़ुशी की तलाश में लगे रहते हैं किन्तु हम में से बहुत कम लोग ही ख़ुशी के प्रबंधन पर ध्यान देते हैं। परिणामतः या तो ख़ुशी मिलती ही नहीं और अगर मिलती भी है तब हम उसका आनंद उठाने में असफल रहते हैं।




        All of us remain busy throughout our lives in search of happiness but very few of us focus on management of happiness. As a result of this, either we fail to get happiness or if ever we get happiness, we fail to enjoy it.


Sunday, February 14, 2016

चरित्र निर्माण की कठिन डगर : Difficult Path of Character Building


मित्रो !
चरित्र निर्माण के पथ पर मिलने वाले आकर्षण मनुष्य की बुद्धि को भ्रमित करने का कार्य करते हैं। चरित्र साधना में लगे व्यक्ति को चाहिए कि वह इनकी अनदेखी कर आगे बढ़ जाय। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता वह पथ से भटक जाता है, समाज में प्रतिष्ठा खो देता है और चरित्र की अपनी अर्जित पूँजी भी खो देता है।


Saturday, February 13, 2016

अंतरात्मा के निर्णय का अनुपालन


मित्रो !
        अंतरात्मा हमारे किसी व्यवहार के सम्बन्ध में ऐसे व्यवहार का उचित या अनुचित होने का आभाष कराकर हमारा मार्गदर्शन करने वाली हमारी आतंरिक शक्ति होती है। अंतरात्मा उचित या अनुचित के अपने निर्णय को मनवाने के लिए हमें बाध्य नहीं करती। उसका कार्य सही और गलत बताने तक सीमित होता है, व्यक्ति का कार्य को करने या न करने का निर्णय अपना होता है। जो व्यक्ति अपनी अंतरात्मा के निर्णय का लगातार विरोध करता है, उसका अंतरात्मा की आवाज़ से ध्यान हट जाता है और उसको अंतरात्मा के निर्णय का ज्ञान नहीं हो पाता।


Thursday, February 11, 2016

वीणा वादिनी वर दे


मित्रो !
      वसंत पंचमी के पावन पर्व पर मैं माँ सरस्वती को प्रणाम करता हूँ। विद्या, वाणी व संगीत की देवी मां सरस्वती सभी को ज्ञान और मधुर वाणी का आशीर्वाद प्रदान कर समस्त जगत का कल्याण करें।
 
      इस अवसर पर प्रस्तुत हैं महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" द्वारा रचित माँ सरस्वती की स्तुति -
वीणा वादिनी वर दे
वीणा वादिनी वर दे वादिनी वर दे॥
प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र नव- भारत में भर दे॥ 
काट अंध उर के बन्धन स्वर, बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर। 
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर, जगमग जग कर दे॥ 
नव गति नव लय ताल छन्द नव, नवल कण्ठ नव जलद मन्द्र रव।
नव नभ के नव विहंग वृन्द को, नव पर नव स्वर दे॥


MARRIAGE AS I THINK


मित्रो !
        विवाह के बारे में मेरा मानना है कि -
Marriage is neither an adjustment for short-term pleasure nor a relationship of convenience. It is lifelong unification of two persons for achieving common objects in their lives, marriage is a relationship of commitments.

       विवाह न तो अल्पकालिक खुशी के लिए एक समायोजन है और न ही सुविधा का एक रिश्ता है। यह दो व्यक्तियों के जीवन में आम उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उनका आजीवन एकीकरण है, विवाह प्रतिबद्धताओं का एक रिश्ता है।