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Tuesday, November 22, 2016

असहाय के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें


मित्रो!

जब हमारा कोई परिचित या संबंधी गंभीर अवस्था में अस्वस्थ होता है और उपचार का भी उस पर कोई असर नहीं दिखाई देता। उस समय हम यही सोचते हैं कि काश हम कुछ कर सकते। उस समय हमें एक रास्ता दिखाई देता है, हम उसके लिए ईश्वर से दुआ माँगते हैं कि वह स्वस्थ हो जाय। ऐसे ही हमें चाहिए कि जहां हम किसी गरीब या असहाय की अपने तन, मन या धन से सहायता कर पाने में असमर्थ हों वहां पर हमें उस गरीब या असहाय के लिए ईश्वर से दुआ माँगनी चाहिए। इससे हमारा चरित्र निर्मल होता है।


Wednesday, July 8, 2015

ऊपर वाला तू ऊपर ही ठीक


मित्रो !
        ऊपर वाले का ऊपर रहना ही ठीक है। उसके ऊपर रहते नीचे वाले बिना किसी रोक-टोक अपनी फ़रियाद, जब जी चाहा, उससे कर लेते हैं बरना नीचे वालों ने तो उसके विश्राम के समय का सहारा लेकर मंदिरों के कपाट खुलने और बन्द होने का समय तो निश्चित किया ही, साथ ही यह फरमान भी सुना दिया है कि हर कोई दर्शन नहीं कर सकता।

        वह ईश्वर है जो अपनी संतानों में किसी प्रकार का भेद-भाव किये बिना उनकी पुकार, चाहे दिन हो रात, हर समय सुनता है और उनकी मदद भी करता है। किन्तु मनुष्य ने ईश्वर के विश्राम के समय का सहारा लेकर निश्चित समय में दर्शन पर पाबंदी लगा रखी है। कुछ वर्गों या व्यक्तियों के पूजा गृहों में जाने को भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रतिबंधित कर रखा है। यह कहाँ तक उचित है?