मित्रो !
हमें अच्छी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। भावना के बल पर ही हमारा ईश्वर से साक्षात्कार होता है, भावना से ही प्यार पलता है, भावना से ही किसी कार्य को करने की प्रेरणा मिलती है और भावना ही हमें प्रगति के पथ पर आगे ले जाती है। किसी कार्य का शुभारम्भ करने की दिशा में भावना पहली सीढ़ी होती है।
हमारे जीवन में जो कुछ घटित हो रहा है वह सब भावनाओं का खेल है। मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छी भावनाओं का पोषण करे और खराब भावनाओं को न पनपने दे।