मित्रो !
हम जिंदगी भर अपने शरीर को सजाने संबारने में लगे रहते हैं। सत्य यह है कि परमात्मा ने हमें शरीर आवश्यक और शुभ कर्म करने के लिए दिया है। शरीर का क्षय होना निश्चित है और एक दिन शरीर मिटटी में बदल जाना है। बचना है तब शुभ कर्मों की पूँजी।
मेरा यह आशय नहीं है कि शरीर को स्वस्थ न रखा जाय। नीरोग काया पहली आवश्यकता है। काया नीरोग और स्वस्थ न होने पर अपना जीवन निर्वाह भी नहीं हो सकता। किन्तु शरीर का रख-रखाव ही जीवन का उद्देश्य नहीं है। हमें ध्यान रखना चाहिए शरीर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साधन है, लक्ष्य नहीं। हमें शरीर का उचित रख-रखाव करते हुए जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए कर्म करना चाहिए।
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