मित्रो!
जब हमारा कोई परिचित या संबंधी गंभीर अवस्था में अस्वस्थ होता है और उपचार का भी उस पर कोई असर नहीं दिखाई देता। उस समय हम यही सोचते हैं कि काश हम कुछ कर सकते। उस समय हमें एक रास्ता दिखाई देता है, हम उसके लिए ईश्वर से दुआ माँगते हैं कि वह स्वस्थ हो जाय। ऐसे ही हमें चाहिए कि जहां हम किसी गरीब या असहाय की अपने तन, मन या धन से सहायता कर पाने में असमर्थ हों वहां पर हमें उस गरीब या असहाय के लिए ईश्वर से दुआ माँगनी चाहिए। इससे हमारा चरित्र निर्मल होता है।
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