मित्रो !
जो यह जानता है कि ईश्वर सब जगह है उसे ईश्वर को याद करने के लिए मंदिर की जरूरत नहीं होती, वह मंदिर के बिना भी ईश्वर को याद कर लेता है। केवल मंदिर ही वह स्थान नहीं है जहां ईश्वर है, अपितु मंदिर उन स्थानों में से एक स्थान है जहां ईश्वर है क्योंकि ईश्वर सर्वविद्यमान (Omnipresent) है। इसीलिये मेरा मानना है कि -
मैं नास्तिक हूँ किन्तु इतना बड़ा नहीं कि राह में आये मन्दिरों में ईश्वर को नकार दूँ, साथ ही इतना बड़ा आस्तिक भी नहीं हूँ कि मंदिरों की खोज में ही घूमा करूँ, क्योंकि मेरा अपना विश्वास है कि भगवान मंदिरों में ही नहीं, मंदिरों में भी है क्योंकि वह सर्वविद्यमान है।
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