मित्रो
!
ईश्वर
का कोई चित्र
या मूर्ति जब
तक हमारे अंदर
ईश्वर के प्रति
श्रद्धा और विस्वास
जागृत नहीं करती
तब तक हमारे
लिए उसकी कोई
उपयोगिता नहीं होती।
इसी प्रकार जब
तक कोई उपदेश
या सुविचार हमारे
अंदर के जमीर
को नहीं झकझोरता
तब तक उनका
हमारे लिए कोई
मोल नहीं होता।
Unless a picture or idol of God
does not awaken our reverence and faith in God, the picture or idol is
usefulness for us. Similarly, unless a sermon or good thought shakes the
conscience within us, they have no value for us.
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