Tuesday, April 4, 2017

जीएसटी विधेयकों पर राज्य सभा में विचार

मित्रो !
     जीएसटी से सम्बंधित लोक सभा द्वारा पारित किये विधेयकों पर आज दिनाक 05-04-2017 को राज्य सभा द्वारा विचार (Considered) किया जायेगा। राज्य सभा इन पर अपने सुझाव दे सकती है। विधेयक Money Bill श्रेणी के होने से राज्य सभा के सुझाव लोक सभा पर वाध्यकारी नहीं होंगे।  किन्तु मुद्दे जिन पर राज्य सभा द्वारा विचार किया जा सकता है रोचक हो सकते हैं।  एक मुद्दा, पार्लियामेंट की जानकारी में लाये बिना GST Council की संस्तुतियों पर सरकार द्वारा विधेयकों में उल्लिखित विषयों पर विज्ञप्तियां जारी किये जाने की संवैधानिक वैधता का हो सकता है।  दूसरा मुद्दा समुद्री सीमा में होने वाले संव्यवहारों के सम्बन्ध में समीपवर्ती राज्यों को अधिकार दिए जाने का हो सकता है। चर्चा रोचक होने की संभावना है।
     इस सन्दर्भ में मैं आपके संज्ञान में लाना चाहूंगा कि संविधान के अन्तर्गत किसी विषय पर कानून बनाये जाने का अधिकार केवल संघ के मामले में पार्लियामेंट को और राज्यों के मामले में राज्यों की विधायिकाओं को दिया गया है। पार्लियामेंट या राज्य विधायिकाओं द्वारा बनाये गए कानून (अधिनियमों) से सम्बंधित नियमावली (Rules) और विज्ञप्तियां (Notifications) या अन्य कोई प्राविधान जिन्हें कानून की मान्यता होती है भी कानून का ही भाग होते हैं।  किन्तु ऐसे प्राविधान सरकारों द्वारा या किन्हीं अन्य अधिकारियों या प्राधिकारियों द्वारा बनाये जाते हैं। ऐसे कानून के भाग subordinate legislation कहलाते हैं। इनको बनाने के लिए विधायिकाएं अपने द्वारा बनाये गए कानून जो Primary Legislation होता है के अन्तर्गत  ऐसे अधिकारियों या प्राधिकारियों को दी जातीं हैं। यह शक्तियों का प्रतिनिधायन (Delegation of Powers) कहलाता है। माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा इस सम्बन्ध में दिए गए निर्णय के अनुसार आवश्यक गाइडलाइन्स, पालिसी  के दिए बिना शक्तियों का प्रतिनिधायन अवैध (Invailid) होता है।
              Primary Legislation (मूल अधिनियम) बनाते समय विधायिका संविधान में उपलब्ध प्राविधानों के बाहर नहीं जा सकती है।  Subordinate Legislation  बनाते समय सरकार या अधिकृत प्राधिकारी (जिन्हें भी शक्स्तियों का प्रतिनिधायन किया गया है) दी गयी शक्तियों के बाहर जाकर कानून नहीं बना सकते हैं। दूसरी ओर विधायिकाओं द्वारा असीमित शक्तियों का प्रतिनिधायन भी नहीं किया जा सकता है।
चर्चा राज्य सभा टीवी चैनल पर देखी जा सकती है।



No comments: