मित्रो !
यदि हम चाहते हैं कि धर्म के किन्हीं प्रावधानों की आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता बनी रहे तब हमें आधुनिक जीवन में धर्म के ऐसे प्रावधानों की उपयोगिता और आवश्यकता प्रमाणित करनी होगी। अन्यथा ऐसे प्रावधान धर्म के गुरुओं और ग्रंथों तक ही सीमित होकर रह जायेंगे।
If we want to maintain relevance of any provision of a religion with modern life, we will have to establish necessity and utility of such provision in modern life. Otherwise, such provisions will remain confined to religious texts and teachers.
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