Friday, November 20, 2015

सोच का प्रदूषण


मित्रो !
        पर्यावरण प्रदूषण की समस्या तो अपनी जगह है ही। दुनियां के विभिन्न देश इसको कम करने के लिए सक्रिय भी हैं किन्तु विकृत विचारों, वैमनस्य, असहिष्णुता, आदि से हमारी सोच में होने वाला प्रदूषण एक बड़ी चिंता का विषय है। इसके चलते मानवता और भाईचारे के मूल्यों में लगातार ह्रास हो रहा है। 
        मेरा मानना है कि यदि ऐसे प्रदूषण पर नियंत्रण न पाया गया तब हमारी प्रगति शून्य हो जाएगी, हम असभ्य की श्रेणी में पहुँच जायेंगे और यदि ऐसा हुआ तब ईश्वर भी हमारी मदद नहीं करेगा क्योंकि वह अपनी संतानों से ऐसे कुत्सित आचरण की अपेक्षा नहीं करता। परमपिता ही क्या कोई भी पिता अपनी संतानों को आपस में लड़ता - झगड़ता नहीं देखना चाहता।


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