Friday, November 20, 2015

समझाया तर्क से जाता है और मनवाया बल से

मित्रो !
        तर्क संगत बात को सामान्य व्यक्ति से मनवाने के लिए बल की आवश्यकता नहीं होती। किसी बात को बलपूर्वक मनवाने की तीन परिस्थितियाँ ही हो सकती हैं, या तो श्रोता तर्क समझता न हो या समझना न चाहता हो या फिर बात तर्क की कसौटी पर खरी न उतर रही हो।
       तर्क संगत बात न समझने वाले लोगों में बच्चे और किसी भी उम्र के मन्दबुद्धि लोग हो सकते हैं। जो लोग तर्क संगत बात जानबूझकर नहीं समझना चाहते वे तर्क संगत बात कहने वाले व्यक्ति से ईर्ष्या रखने वाले, मिथ्या अभिमान करने वाले, सत्य को झुठलाने वाले या कही गयी बात से किसी प्रकार आहत होने वाले अथवा दायित्वों का निर्वहन न करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं। इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों से तर्क संगत बात मनवाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं। उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता की बात तर्क संगत है। अन्य व्यक्ति तर्क संगत बात से सहमति व्यक्त कर उसे स्वीकार कर लेते हैं।


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