Tuesday, November 8, 2016

खुशी चाहिए तो ख़ुशी पहचानो

  • मित्रो !
    यहॉं पर हम एक साधारण उदहारण लेते हैं। मान लीजिये कि आप अपने घर के बाहर सड़क के किनारे टहल रहे हैं। आपके पास एक अजनबी आकर एक स्थान विशेष का पता पूछता है। इस परिस्थिति में आप निम्नलिखित में से कोई एक कार्यवाही कर सकते हैं:
    1.आप रूककर विनम्रता पूर्वक उस व्यक्ति को पता बता देते हैं; अथवा
    2.आप उस व्यक्ति की ओर देखते हैं और उससे बिना कुछ बोले आगे बढ़ जाते हैं; अथवा 
    3.आप उसे विनम्रता पूर्वक बताते हैं कि आपको वह पता ज्ञात नहीं है; अथवा
    4.आपको पता ज्ञात न होने की स्थिति में आप उसे संमीप के किसी ऐसे व्यक्ति का पता बता देते हैं जो उसे पते की जानकारी दे सकता हो; अथवा
    5.आप उसे समीप के किसी ऐसे परिचित के पास ले जाते हैं जो पता बता सके।
    जब आपको ज्ञात किसी स्थान विशेष का पता पूछने वाले किसी व्यक्ति को पता बताये बिना आप उसकी उपेक्षा कर आगे बढ़ जाते हैं, आप भले ही माने कि आपका कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा करके आप बहुत कुछ खो देते हैं। 
    किसी जरूरतमंद की मदद करने से आत्म संतुष्टि और ख़ुशी मिलती है। आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ईश्वर अनन्य लोगों को छोड़कर तुम्हें अपना प्रिय मानकर तुम्हें दूसरे व्यक्ति को उपकृत करने का अवसर देता है । जाने -अनजाने में तुम से हुए तुम्हारे अपने गुनाहों का बोझ हल्का करने का तुम्हें एक अवसर मिलता है। जब आप पता पूछने वाले से मुंह फेर कर आगे बढ़ जाते हैं तब आप यह सब खो देते हैं।

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