मित्रो !
कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या किसी अन्य प्राणी से तब तक प्यार नहीं पा सकता जब तक वह ऐसे अन्य व्यक्ति या प्राणी को आश्वस्त न कर दे कि जिससे वह प्यार करने जा रहा है अथवा जिससे वह प्यार कर रहा है उस व्यक्ति के हाथों में ऐसे अन्य व्यक्ति या प्राणी के हित सुरक्षित हैं। यदि हम इस बात को समझ लेते हैं और इस पर अमल करते हैं तब हमारे प्यार को कोई कमजोर नहीं कर सकता।
सुरक्षा की भावना प्यार के अंकुरित होने और फलने-फूलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि प्यार के लिए सुरक्षा की भावना का होना अपरिहार्य है और असुरक्षा का भाव मन में आते ही प्यार दम तोड़ देता है।
No comments:
Post a Comment