Wednesday, September 7, 2016

• हम किस ओर जा रहे हैं? : Where We Are Heading?

 मित्रो !
  • मेरा मानना है कि हमारे समाज में यौन अपराधों में लगातार बृद्धि हो रही है, यहां तक कि मासूम बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। वर्तमान में स्कूल, कालेज, पार्क, आदि भी सुरक्षित नहीं हैं, अनेक मामलों में रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं। यह अपराध अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अन्य अपराधों को भी जन्म दे रहा है। युवाओं में खुलापन होना अच्छी बात है पर प्रश्न यह है कि खुलापन किस सीमा तक? विवाह-विच्छेद की घटनाओं में बृद्धि भी चिंता का विषय है, किसी मासूम की माँ छिन रही है तो किसी मासूम का बाप छिन रहा है। उन मासूमों का दोष क्या है? महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि हम किस विकसित समाज की रचना कर रहे हैं?

  • गर्लफ्रेंड-बोयफ़्रेंड कल्चर का यह प्रभाव हुआ है कि ऐसे सम्बन्ध रखने वाले युवा लडके-लड़कियाँ ऐसे रिश्ते न रखने वाले युवक-युवतियों को पिछड़ा (Backward) समझने लगे हैं। बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड की जरूरतें पूरी करने और उसे खुश रखने के लिए राहजनी, लूट-पाट और हत्या करने जैसे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं। रिश्तों की आड़ में धोखा देने, ब्लैक मेल करने जैसे अपराध बढ़ रहे हैं।
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    दुर्भावना रखने वाले व्यक्तियों द्वारा शादी के बादे की आड़ में अविवाहित युवतियों की अस्मिता से वर्षों तक खिलवाड़ किया जाता है और बाद में वे बादे से मुकर जाते हैं। बाद में युवतियों को विवश होकर न्यायलय की शरण लेनी पड़ती है। अनेक मामलों में अपने घर से दूरस्थ स्थान पर अकेले रह रहे विवाहित पुरुषों द्वारा शादी का झांसा देकर युवतियों की जिन्दगियां बर्बाद की जातीं है। अगर ऐसा व्यक्ति शादी कर भी लेता है तब उसकी पूर्व पत्नी और बच्चों (यदि कोई रहे होते हैं) की जिंदगियां बर्बाद हो जातीं हैं।
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    मेरा मानना है कि जिस तरह शादी (marriage) के रजिस्ट्रेशन का प्राविधान है उसी तरह बिना शादी पति-पत्नी की तरह रह रहे अथवा अथवा विवाह सम्बन्ध बनाने का बादा कर आपस में पति-पत्नी की तरह यौन सम्बन्ध बनाने वाले युवक-युवतियों के संबंधों का एग्रीमेंट रजिस्टर कराये जाने का क़ानून बनना चाहिए। ऐसे बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड संबंधों का भी रजिस्ट्रेशन होना चाहिए जिनमें आपस में शादी करने का कॉमिटमेंट हो। हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों के मौलिक अधिकार छीनने का नहीं है, हमारा उद्देश्य उन लोंगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है जिनके अधिकार बल या छल से छीने जाते हैं। समय आ गया है कि समाज शास्त्रियों को आगे आना चाहिए और इन विषयों पर विचार कर उचित रास्ता सुझाना चाहिए।
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    मेरा तो मानना है कि हमारी सरकार को विद्वान समाज-शास्त्रयों के एक उच्च-स्तरीय स्थायी मंडल की स्थापना की जानी चाहिए। यह मंडल नियमित रूप से समाज में आने वाले परिवर्तनों, विकृतियों का अन्वेषण और अध्ययन करे तथा समाज में आने वाली विकृतियों पर नियंत्रण पाने के लिए उपयुक्त सुझाव दे। स्त्री-पुरुष के अनुपात संतुलन के लिए कारगर तरीका सुझाये। मेरा मानना है कि यौन अपराध प्रवृत्ति में कमी आने पर समाज में हो रहे अन्य अपराधों में भी कमी आएगी।

Openness is good among youths but the question is, to what extent openness is desirable. Incidents of divorce are on increase, some innocents are being deprived of their mothers and the others of their fathers. What is the fault of those innocents? Important question is that what type of developed society we are aiming at?






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