मित्रो !
किसी कृति (creation) पर कृति की रचना करने वाले रचनाकार अथवा
ऐसे व्यक्ति जिसके आदेश पर या जिसके लिए रचनाकार ने रचना की है का ही अधिकार हो
सकता है। हमने स्वयं अपनी रचना नहीं की है और न ही हमारे आदेश पर किसी रचनाकार ने
हमारी रचना की है। अज्ञान और मिथ्या अहंकार के कारण हम दूसरे की रचना पर अपना
अधिकार मान बैठे हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने द्वारा दी गयी अपनी वस्तु बापस लेता है
तब इसमें शोक कैसा? जो वस्तु हमारी है ही नहीं उसके छिन जाने का भय कैसा? जब कोई दूसरा व्यक्ति अपनी वस्तु हमें
उपयोग के लिए देता है तब हमें उस वस्तु पर स्वामित्व का अधिकार नहीं मिलता। तब हम
वस्तु देने वाले से यह कैसे कह सकते हैं कि वह वस्तु बापस लेने का अधिकारी नहीं
है। हमें तो दूसरे के द्वारा हमारे उपयोग के लिए वस्तु दिए जाने के लिए उसका
कृतज्ञ होना चाहिए।
किसी वस्तु पर केवल उसके रचनाकार का ही अधिकार हो
सकता है। हमने स्वयं अपनी रचना नहीं की है, हमारा रचयिता कोई और ही है। अज्ञान और मिथ्या अहंकार के कारण हम
दूसरे की रचना पर अपना अधिकार मान बैठे हैं। हमारे मृत्यु से भय का कारण यही है।
Only creator of an object can have rights in the object
created. We have not created ourselves, our creator is someone else. Due to
false pride and ignorance we assume our authority over other's creation. This
is the sole cause of our fear of death.
No comments:
Post a Comment