मित्रो!
पार्लियामेंट द्वारा अंग्रेजी और हिंदी भाषाओँ में पारित अधिनियमों और हिंदी भाषी राज्यों में विधायिकाओं द्वारा हिंदी में पारित अधिनियमों तथा उनके अंग्रेजी में प्रकाशित अनुवाद में "छूट प्राप्त प्रदाय" (exempt supply) की परिभाषा में महत्वपूर्ण भिन्नता है।
अधिनियमों के हिंदी पाठ में "छूट प्राप्त प्रदाय" की परिभाषा निम्नप्रकार दी गयी है:
"(47) "छूट प्राप्त
प्रदाय" से ऐसे किसी माल या सेवाओं या दोनों का प्रदाय अभिप्रेत है, जिसकी,
एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 के अधीन कर की दर शून्य हो या जिसे धारा
11 के अधीन कर से पूरी छूट दी जा सकेगी और इसके अंतर्गत गैर-कराधेय प्रदाय भी है;"
इस परिभाषा में तीन प्रकार की सप्लाई शामिल की गयीं हैं :-
1. सप्लाई जिसकी एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 में कर की दर शून्य हो; अथवा
2. जिस पर धारा 11 में कर से पूरी छूट दी जा सकती हो; अथवा
3. जो गैर-कराधेय सप्लाई हो।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 में कर की दर निर्धारित करने का प्राविधान नहीं है। दूसरे एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 11 में कर से छूट देने का प्राविधान नहीं है। केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 11 में कर से छूट देने का प्राविधान है किन्तु परिभाषा में इस अधिनियम की धारा 11 का उल्लेख नहीं है। शब्द
"इस अधिनियम की धारा 11" (under section 11 of this Act) का प्रयोग आवश्यक था। ऐसा न होने से परिभाषा में एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 11 समझी जाएगी।
केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम के अंग्रेजी संस्करण The Central Goods and Services Tax Act, 2017 की धारा 2 के क्लाज (47)
में पद "exempt supply" की परिभाषा निम्न प्रकार दी गयी है:-
(47) “exempt supply” means supply of any goods or services or both
which attracts nil rate of tax or which may be wholly exempt from tax under section
11, or under section 6 of the Integrated Goods and Services Tax Act, and
includes non-taxable supply;
इस परिभाषा में 4 तरह की सप्लाई कर मुक्त सप्लाई होने की बात कही गयी है:
1. सप्लाई जो शून्य (nil) कर की दर आकर्षित करती है; अथवा
2. जो धारा 11 के अंतर्गत कर से पूरी तरह से मुक्त है ; अथवा
3. जो एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत कर से पूरी तरह मुक्त है ; अथवा
4. जो गैर- कराधेय प्रदाय (
non-taxable supply) है;
इस परिभाषा में शब्दों "may be wholly exempt from tax" का प्रयोग उचित नहीं है। कोई भी सप्लाई जनहित में कर से पूर्णतः मुक्त की जा सकती है। मेरा विचार है कि इन शब्दों के स्थान पर "is wholly exempt from tax" का प्रयोग उचित रूप से किया जा सकता था। अन्यथा भी प्रथम उपवाक्य (First sub-clause) में शब्द "attracts" प्रयोग किया गया है। इसे देखते हुए भी "may be wholly exempt from tax" के स्थान पर शब्दों
"is wholly exempt from tax" का प्रयोग उचित रहा होता।
हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओँ में दी गयी परिभाषाओं के अवलोकन से स्पष्ट है कि उनमें महत्वपूर्ण अंतर है। हिंदी भाषा में परिभाषा अन्यथा भी अनुचित और प्राविधानों के विरुद्ध है।
जीएसटी कानून बनाने के बाद लगभग सवा वर्ष से अधिक का समय गुजर गया है अभी तक जीएसटी काउन्सिल, सीबीआईसी, और कानूनों का ड्राफ्ट तैयार करने वाले लोगों का ध्यान इस ओर नहीं गया है। कुछ अन्य प्राविधानों में भी महत्वपूर्ण असंगतियां विद्यमान हैं।
केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 17 जिसमें ऐसे माल और सेवाओं या परिस्थितिओं का उल्लेख है जिनमें इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलना है अथवा आंशिक रूप में मिलना है। ध्यान देने योग्य है कि जहां माल और सेवाओं का आंशिक रूप से प्रयोग करयोग्य सप्लाई, जीरो रेटेड सलाई को सम्मिलित करते हुए, करने में और आंशिक रूप से कर मुक्त सप्लाई करने में किया जाता है वहां पर आंशिक इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने का प्राविधान तो किया गया है किन्तु जहां माल और सेवाओं का प्रयोग पूर्णरूपेण करमुक्त सप्लाई करने में ही किया जाता है उसमे कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट न मिलने का प्राविधान नहीं किया गया है।
मेरा विचार है कि कानून के प्राविधानों का कानून का ड्राफ्ट तैयार करने वाले व्यक्तियों द्वारा लगातार अध्यन किया जाता रहना चाहिए। इससे उन्हें इसकी खामियों का पता चलेगा और कानून को बेहतर बनाया जा सकेगा।
अस्वीकरण: यहाँ पर व्यक्त किये गए विचार मेरे निजी विचार हैं। विचार शैक्षिक चर्चा हेतु प्रस्तुत किये गए हैं। यदि कोई व्यक्ति इनके आधार पर कार्यवाही करता है और ऐसा करने पर उसे किसी प्रकार की क्षति पंहुचती है तब इसके लिए मेरा कोई दायित्व नहीं होगा।