Showing posts with label जल. Show all posts
Showing posts with label जल. Show all posts

Wednesday, May 17, 2017

हमारा शरीर कोई कचरे का डिब्बा नहीं

मित्रो !
      अनुपयुक्त भोजन, दूषित जल और दूषित वायु लेने से हमारा शरीर कमजोर और रोगग्रस्त तो होता ही है साथ ही हमारे अंदर कार्य करने के प्रति अनिच्छा उत्पन्न हो जाती है, हमारी दक्षता गिर जाती है, हमारे अंदर कुत्सित विचार जन्म लेने लगते हैं, किसी विचार या कार्य पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो जाता है। ऐसा होने पर ख़ुशी के पल भी हमारे लिए बोझिल बन जाते हैं।  क्या ग्राह्य और क्या ग्राह्य नहीं है, इस पर विचार करके ही हमें कुछ ग्रहण करना चाहिए।

      आख़िरकार हमारा पेट और शरीर कोई कचरे का डिब्बा तो नहीं है जो जी में चाहा डाल दिया।

Tuesday, March 21, 2017

माँ का श्रृंगार छीनने का दोषी कौन?

मित्रो!
      तीनो लोकों में न्यारी क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर परी लोक से आने वाली परियां और देवलोक से आने वाले देवता विचरण किया करते थे। क्या यह वही पृथ्वी है जिस पर राम ने जन्म लेकर राक्षसों का विनाश किया था, जहां कृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमर सन्देश दिया था, क्या आदि देव शिव - शंकर  की पावन तपो भूमि यही है।  क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर ऋषि - मुनि  साधना और तपस्या किया करते थे, जहाँ अप्सराएं आकर नृत्य किया करतीं थीं।

             हरे-भरे बन, स्वच्छ जल के झरने और कल कल कर बहती स्वच्छ मीठे जल की नदियाँ, हरे भरे घास के मैदान और उन पर छलांग लगाते, कुलाटें भरते हिरणो के छौने और शेरों के शावकरंग-विरंगे फूल और फलों से लदे मस्ती में लहराते पेड़-पौधे यह सब जो पृथ्वी का श्रृंगार थे, कहाँ विलुप्त हो गए।
Meanings: शावक = बच्चे।   छौने = हिरन के बच्चे।