Showing posts with label punishment. Show all posts
Showing posts with label punishment. Show all posts

Thursday, June 9, 2016

गवाहों और सबूतों के बिना न्याय Justice without witness and evidence

मित्रो !
    दुनिया की अदालत में तुम अपने पक्ष में झूठी गवाही और सबूत पेश करके दण्ड पाने से बच सकते हो किन्तु ईश्वर की अदालत में नहीं बच सकते क्योंकि ईश्वर की अदालत में तो गवाहों और सबूतों की आवश्यकता होती है और ही झूठा बयान देने का मौका मिलता है क्योंकि प्रत्येक मामले में ईश्वर स्वयं प्रत्यक्षदर्शी रहा होता है।
Friends !
     Here you can escape from getting punishment in a court by producing false testimony and evidences in your favour but not in the court of God. In the court of God neither witness and evidences are required nor is opportunity needed for giving statements. Because, in each case, the God would have been an eyewitness.





Tuesday, May 10, 2016

न्याय भी अंतर्रात्मा की आवाज हो

मित्रो !
    यदि तुम्हारी अंतर्रात्मा कहती है कि तुम मुझे मेरे गुनाहों की सजा दे रहे हो तब तुम ऐसा करके मुझ पर उपकार कर रहे हो। किन्तु यदि तुम्हारी अन्तर्रात्मा कहती है कि तुम मुझे अकारण सजा दे रहे हो तब तुम अपने गुनाहों का बोझ बढ़ा रहे हो।

    एक न्यायाधीश को चाहिए कि वह किसी को सजा देकर उस पर उपकार करे कि किसी को सजा देकर अपने गुनाहों का बोझ बढ़ाए। एक वास्तविक अपराधी को सजा देकर एक न्यायाधीश अपराधी के गुनाहों का बोझ कम करके उस पर उपकार करता है वहीँ पर निर्दोष को दण्डित करके स्वयं गुनहगार बन जाता है।


Friday, March 27, 2015

जीवात्मा का कर्म और कर्म-फल में बँधना

मित्रो ! 
      जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा किये गए किसी कार्य का स्वयं को कर्त्ता (doer / performer) मानकर कार्य करने का श्रेय (Credit) स्वयं ले लेता है तब कार्य के फलस्वरूप मिलने वाले दंड (punishment) या पारितोषक (reward) को लेने से इन्कार (refuse) नहीं कर सकता।  जीवात्मा से क्रियाशील  हुए (activated) मनुष्य का शरीर कर्म तो स्वयं करता है किन्तु जीवात्मा मिथ्या (false / untrue) रूप में ऐसे कर्म का कर्त्ता स्वयं को मान लेता (admits / accepts) है और इस कारण उसे कर्म के फलों का उपभोक्ता बनना पड़ता है। इस प्रकार जीवात्मा कर्मों का कर्त्ता और कर्म - फलों (results of actions ) का भोक्ता (user) बन जाता है।