मित्रो !
जब आप बिना सोचे विचारे कोई कार्य प्रारम्भ कर देते हैं अथवा किसी क्रिया के विरुद्ध बिना कुछ सोचे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं तब आप उनमें से ही कोई विकल्प प्रयोग में लाते हैं जो आपके मन और बुद्धि के स्टोर में होता है। ऐसे में यह आवश्यक नहीं होता जो विकल्प आप अपना रहे हैं वह उचित और बेहतर ही हो। थोड़ी देर के लिए आप इस पर विचार करें कि क्या उसी कार्य को करने के अन्य वैकल्पिक तरीके हो सकते थे अथवा प्रतिक्रिया व्यक्त करने के क्या और भी तरीके हो सकते थे? विचार करने पर आप इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि कार्य करने या प्रतिक्रिया व्यक्त करने के अन्य विकल्प भी उपलब्ध थे। इन परिस्थितियों में यह नितान्त सम्भव है कि आपने जो विकल्प अपनाया है उससे बेहतर विकल्प वह था जिसकी सम्भावना पर आपने विचार ही नहीं किया।
मान लीजिये आपका पुत्र या पुत्री और आपके मित्र का पुत्र या पुत्री एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। दोनों ही पढ़ने में ठीक से ध्यान नहीं देते। परिणामतः परीक्षा में दोनों को ही कम अंक प्राप्त होते हैं। आपका पुत्र या पुत्री आपको और आपके मित्र का पुत्र या पुत्री आपके मित्र को रिजल्ट कार्ड दिखाते हैं। आप रिजल्ट कार्ड देखते ही प्रतिक्रियावश अपने पुत्र या पुत्री पर क्रोध उंडेल देते हैँ। बच्चा डर जाता है, आप से कटा कटा रहने लगता है। उसकी शिक्षा में सुधार तो नहीं होता उलटे उसका स्वास्थ्य ख़राब रहने लगता है। दूसरी ओर आपका मित्र रिजल्ट कार्ड देखकर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता वल्कि उन विकल्पों पर विचार करता है जिससे पुत्र या पुत्री की शिक्षा में सुधार लाया जा सके। वह अपने पुत्र या पुत्री पर क्रोधित नहीं होता, उसे पास बुलाकर प्यार से उसकी कठिनाई पूछता है और उसका मनोबल बढ़ाता है। बच्चा पढ़ने में ठीक से ध्यान देना प्रारंभ कर देता है और आगे परीक्षा में अच्छे अंक लाता है। यहां अंतर यह है की आपने विकल्पों पर विचार नहीं किया, आपके मन और बुद्धि के पास क्रोध का विकल्प था। इसलिए आप तुरंत क्रोधित हो गए जबकि आपके मित्र ने अन्य विकलों पर विचार किया और बेहतर विकल्प का प्रयोग किया। इस प्रक्रिया में आपके मन और बुद्धि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ किन्तु आपके मित्र के मन और बुद्धि में ऐसी परिस्थिति के लिए नए विकल्प और जुड़ गए। इससे मित्र की आपके बुद्धि और मन का विकास भी हुआ।
एक अन्य उदहारण एक सड़क दुर्घटना में घायल सड़क पर पड़े सहायता के लिए पुकार रहे व्यक्ति का लेते हैं। आप अपनी मोटर साइकल से जाते हुए घटना स्थल पर उसकी सहायता करने के उद्देश्य से रुकते हैं। आपका मन और बुद्धि कहते हैं कि मोटर साइकल से आप घायल व्यक्ति को हस्पताल नहीं ले जा पाएंगे। ऑटो रिक्शा पर घायल व्यक्ति के साथ एक व्यक्ति घायल व्यक्ति को पकड़ने के लिए चाहिए। आप इरादा बदल देते हैं और उस घायल व्यक्ति को उसके हाल पर छोड़कर चल देते हैं। आपकी तरह ही एक अन्य आदमी मोटर साइकल से आता है। उसका मन भी वही विकल्प प्रस्तुत करता है किन्तु वह अन्य व्यक्ति सोचता है कि क्या अन्य कोई तरीका नहीं हो सकता? उसकी बुद्धि कहती है कि एम्बुलेंस को बुला सकते हो। दूसरा विकल्प प्रस्तुत करता है कि अपनी मोटर साइकल सड़क के किनारे ताला लगाकर खड़ी कर सकते हो और घायल व्यक्ति को ऑटो रिक्शा से हॉस्पिटल ले जा सकते हो। वह व्यक्ति सोचता है कि एम्बुलेंस आने में देर लगेगी। वह व्यक्ति मोटर साइकल सड़क के किनारे खड़ी करके एक ऑटो रिक्शा लेकर उस घायल व्यक्ति को ऑटो रिक्शा ड्राइवर की सहायता से ऑटो रिक्शा पर लिटाकर उसको सहारा देकर हॉस्पिटल पहुँचा देता हैं। वहाँ घायल व्यक्ति को दाखिल कर ऑटो रिक्शा से बापस आकर अपनी मोटर साइकल उठा लेता हैं। यहाँ अंतर कहाँ है? आपको जब दूसरे व्यक्ति द्वारा किये गए कार्य की जानकारी मिलती है तब आप सोचते हैं कि आप भी तो यह कर सकते थे किन्तु ये विचार आपके दिमाग में नहीं आये। जाहिर है कि आपने समस्त विकल्पों पर विचार नहीं किया। दूसरे व्यक्ति ने विकल्पों पर विचार कर बेहतर विकल्प चुना।
प्रत्येक व्यक्ति को मन और बुद्धि मिले हैं। नए विकल्प सोच सकता है, बुद्धि से विकल्पों का विश्लेषण कर अच्छे विकल्प को अपना कर कार्य कर सकता है। विभिन्न परिस्थितियों में नए विकल्पों का भंडार भी बढ़ा सकता है। सामान परिस्थिति आने पर मन और बुद्धि पूर्व के विकल्पों के साथ नए अर्जित विकल्पों को भी स्वतः प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार मन और बुद्धि का विकास होता रहता है।
मेरा मानना है कि कोई कार्य प्रारम्भ करने अथवा कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पूर्व हमें सम्भावित सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और उपलब्ध विकल्पों में से जो सबसे अच्छा और व्यवहारिक विकल्प हो उसे क्रियान्वित करना चाहिए। ऐसा करके हम केवल अपना सुविचारित श्रेष्ठ निर्णय ही नहीं देते वल्कि अनेक त्रुटियों से भी बच जाते हैं और सबसे बड़ी उपलब्धि यह होती है कि ऐसा करने से हमारे मन और बुद्धि का विकास होता है।
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