अनेक मामलों में पत्नी की शिकायत होती है कि उसके पति उसे प्यार नहीं करते जबकि पति का दावा होता है कि वह अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता है अथवा पति को अपनी पत्नी से शिकायत होती है कि उसकी अपनी पत्नी उसे प्यार नहीं करती जबकि पत्नी का दावा होता है कि वह अपने पति को बहुत प्यार करती है। यह स्थिति होने पर परिवार में तनाव बढ़ता है। इसी तरह अनेक बच्चे यह शिकायत करते हैं कि उनके मम्मी-पापा उन्हें प्यार नहीं करते जबकि उनके मम्मी और पापा का दावा होता है कि वे अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं। यह स्थिति होने पर बच्चों के समग्र विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि पति द्वारा पत्नी को प्यार किये जाने, पत्नी द्वारा पति को प्यार किये जाने और मम्मी-पापा द्वारा अपने बच्चों को प्यार किये जाने के दावे सही हैं तब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि दूसरा पक्ष प्यार पाने से वंचित क्यों रह जाता है, उसे प्यार की अनुभूति क्यों नहीं होती है।
मेरे विचार से पति-पत्नी के मध्य ऐसा निम्नलिखित कारणों से हो सकता है :
(1) प्यार जताने के लिए उपयुक्त वातावरण और समय का न होना।
(2) प्यार जताने वाले व्यक्ति द्वारा उपयुक्त और स्पष्ट भाषा का प्रयोग न किया जाना।
(3) प्यार जताने वाले की भाव भंगिमा (हाव-भाव) का उपयुक्त न होना।
(4) प्यार पाने वाले की प्यार करने वाले के प्रति नकारात्मक सोच।
(5) प्यार जताने और प्यार पाने वालों के मध्य किसी बात को लेकर तनाव का होना।
(6) प्यार का स्वरुप विद्यमान परिस्थितियों के अनुकूल न होना।
(7) संवाद के समय वाणी में मधुरता और सरसता का अभाव।
(8) संवाद में अनौपचारिकता का अभाव।
(9) दूसरे की भावनाओं और सम्बन्धियों का समुचित आदर न करना।
(10) दूसरे की रूचि और ख़ुशी का ख्याल न रखना।
(11) प्यार और उसके स्वरूपों के प्रति अनभिज्ञता।
(1) प्यार जताने के लिए उपयुक्त वातावरण और समय का न होना।
(2) प्यार जताने वाले व्यक्ति द्वारा उपयुक्त और स्पष्ट भाषा का प्रयोग न किया जाना।
(3) प्यार जताने वाले की भाव भंगिमा (हाव-भाव) का उपयुक्त न होना।
(4) प्यार पाने वाले की प्यार करने वाले के प्रति नकारात्मक सोच।
(5) प्यार जताने और प्यार पाने वालों के मध्य किसी बात को लेकर तनाव का होना।
(6) प्यार का स्वरुप विद्यमान परिस्थितियों के अनुकूल न होना।
(7) संवाद के समय वाणी में मधुरता और सरसता का अभाव।
(8) संवाद में अनौपचारिकता का अभाव।
(9) दूसरे की भावनाओं और सम्बन्धियों का समुचित आदर न करना।
(10) दूसरे की रूचि और ख़ुशी का ख्याल न रखना।
(11) प्यार और उसके स्वरूपों के प्रति अनभिज्ञता।
मेरा विचार है कि प्यार करना एक कला है। इसके अनेक स्वरुप हैं। यह अत्यंत आवश्यक होता है कि प्यार करने वाले को यह आना चाहिए कि किस समय और किस परिस्थिति में प्यार को इसके किस स्वरुप में व्यक्त किया जाय। प्यार में त्याग की भावना का होना भी आवश्यक होता है।
मित्रो ! मैंने अपने विवेक से प्यार में संवादहीनता के कारणों का विश्लेषण किया है। संभव है कि कुछ कारणों का उल्लेख होने से रह गया हो। मैं अनुगृहीत हूँगा यदि आप अन्य मित्रों की जानकारी के लिए ऐसे कारणों का उल्लेख अपने द्वारा टिप्पणी में अंकित करने की कृपा करेंगे। माँ-वाप और बच्चों की मध्य प्यार में संवादहीनता के विषय में मैं अलग से विचार करना चाहूँगा।
मित्रो ! मैंने अपने विवेक से प्यार में संवादहीनता के कारणों का विश्लेषण किया है। संभव है कि कुछ कारणों का उल्लेख होने से रह गया हो। मैं अनुगृहीत हूँगा यदि आप अन्य मित्रों की जानकारी के लिए ऐसे कारणों का उल्लेख अपने द्वारा टिप्पणी में अंकित करने की कृपा करेंगे। माँ-वाप और बच्चों की मध्य प्यार में संवादहीनता के विषय में मैं अलग से विचार करना चाहूँगा।
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