क्रोध एक मानसिक विकार है। क्रोधित व्यक्ति की अन्य कुछ भी सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है। क्रोधित अवस्था में व्यक्ति जो कुछ कर रहा होता है उसके परिणामों को सोच पाने में असमर्थ होता है। क्रोध में वह ऐसे गंभीर अपराध भी कर सकता है जिससे उसका भरा-पूरा हँसता-खेलता परिवार भी उजड़ सकता है, उसके बच्चे अनाथ हो सकते हैं। स्वयं के अपराधी होने से उसे सजा भी हो सकती है जिसके परिवारीय सदस्यों को भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उसका व्यापर या रोजगार समाप्त हो जाता है और इस सबसे अलग उसे और उसके परिवार के सदस्यों को समाज का तिरस्कार भी सहन करना पड़ता है।
बच्चों पर माता-पिता के क्रोध के भयंकर परिणाम होते हैं। बच्चों के अन्दर डर बैठ जाता है, क्रोध करने वाले माँ या वाप के प्रति बच्चों के अन्दर घृणा का भाव घर कर जाता है। उनका अध्ययन और अन्य कार्यों में जी नहीं लगता। अपनी आवश्यकताओं को भी माँ - वाप को बताने से कतराने लगते हैं। इन सब का प्रभाव यह होता है कि बच्चे का जीवन बर्वाद हो जाता है। इस सब के लिए माँ-वाप का क्रोध जिम्मेदार होता है। बच्चों के सामने अगर पति अपनी पत्नी पर भी क्रोध करता है तब भी बच्चों पर यही प्रभाव पड़ते हैं।
मित्रो ! जब मैं किसी व्यक्ति को क्रोधित होते देखता हूँ तब मैं बहुत ही दुःखी और भयभीत हो जाता हूँ। मेरा मानना है कि क्रोध मानवता के लिए बहुत बड़ा श्राप है। इसका निदान खोजा जाना अत्यंत आवश्यक है। मेरे द्वारा फेसबुक पर पब्लिश किये गए आर्टिकल्स "Cause of Our Anger", "Where Battle is Won by Quitting the Battlefield" और "क्रोध पर नियंत्रण (बात पते की -१२)" क्रोध के प्रति मेरी भड़ास की ही उपज हैं। गत कुछ समय से मैं प्रयासरत हूँ कि कुछ ऐसा आपके सामने ला सकूँ जो स्वयं के क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायक हो सके। किन्तु अब तक कुछ ठोस तलाश नहीं कर पाया हूँ। इतना अवश्य समझ पाया हूँ कि प्रथम प्रयास यह होना चाहिए कि क्रोध आये ही नहीं, फिर भी अगर कभी क्रोध आता है तब कुछ ऐसा होना चाहिए जो हमारे अन्दर यह सोच पैदा कर सके कि हमें क्रोध नहीं करना है। ऐसा कुछ हो जो रेड कार्ड (Red Card) सावित हो सके।
मेरा मानना है कि मेरे अधिकाँश मित्रो को क्रोध नहीं आता होगा। ऐसे मित्रों को मैं प्रणाम करता हूँ। किन्तु क्रोध के लिए कोई अवस्था निश्चित नहीं है। मैं अपने उन मित्रो जो कभी-कभी क्रोध के शिकार हो जाते हैं से अनुरोध करना चाहूँगा कि वे क्रोध से छुटकारा पाने के लिए एक संकल्प लें कि उन्हें क्रोध से बचना है। संकल्प का अपनी दैनिक प्रार्थना में स्मरण करें। कोई चिन्ह रेड कार्ड के रूप में अपने साथ रखें जो उन्हें याद दिलाता रहे की उन्हें क्रोध नहीं करना है। प्रत्येक दिन सोने से पहले यह विचार करें कि क्या वे उस दिन क्रोध के शिकार हुए हैं? यदि हाँ, तब अपनी गलती मानकर इस पर शर्मिंदा हों। जिस व्यक्ति पर हम क्रोध करते हैं वह आहत होता है। हमें समय पाकर उससे Sorry कहकर अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। इससे रिश्ते पुनः निर्मल और नार्मल हो जाएंगे और आपके संकल्प को भी बल मिलेगा।
जिन मित्रों को क्रोध नहीं आता, उनसे मेरा निवेदन है कि ऐसे लोगों की सहायता करें जिन्हें क्रोध आता है ताकि ऐसे लोग क्रोध विकार से छुटकारा पा सकें। उनके द्वारा मानवता की यह बहुत बड़ी सेवा होगी। ऐसे मित्रों का मैं जीवन भर आभारी रहूँगा।
जिन मित्रों को क्रोध नहीं आता, उनसे मेरा निवेदन है कि ऐसे लोगों की सहायता करें जिन्हें क्रोध आता है ताकि ऐसे लोग क्रोध विकार से छुटकारा पा सकें। उनके द्वारा मानवता की यह बहुत बड़ी सेवा होगी। ऐसे मित्रों का मैं जीवन भर आभारी रहूँगा।
साभार।
केशव दयाल।
केशव दयाल।
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