मित्रो !
जीएसटी लगने से
पहले माल की
व्यापार स्थल से
निकासी पर लगने
वाले केंद्रीय आबकारी
शुल्क से राहत
इस आधार पर
मिलती थी कि
माल निर्धारित अवधि
में एक्सपोर्ट कर
दिया जाय। छूट
लेने के बाद
निर्यात की आड़
में आबकारी शुल्क
की चोरी न
हो, इसके लिए
माल की निकासी
पर शर्तें लगाईं
गई थीं। जीएसटी
में निर्यात से
सम्बंधित कोई भी
राहत निर्यात होने
के पूर्व में
नहीं ली जाती
और कोई भी राहत
निर्यात के लिए
माल की क्लियरेंस
होने के बाद
निर्यात के समय
प्राप्त होने वाले
दस्ताबेजों के आधार
पर मिलती है। अतः
निर्यात से पूर्व
माल के सम्बन्ध
में लेटर ऑफ़
अंडरटेकिंग, बांड और
बैंक गारंटी या
टैक्स के भुगतान
की शर्तें लगाना
निर्यात पर जंजीरें
डालने जैसा
है।
In reference to conditions in respect
of zero rated supply, it is noteworthy that conditions, under Central Excise,
were prescribed for removal of goods for export, for the reason that relief
from excise duty was sought at the stage of removal of goods. As it relates to
export in GST regime, relief is sought on the basis of export documents. Then
why conditions are being imposed on making export invoice and removal of export
goods . No relief can be claimed unless the goods are exported. As soon as
goods come into the export stream, proof of export becomes available with the
taxable person. Then where does arise the necessity of conditions prescribed
under sub-section (3) of section 16 of the Integrated Goods and Services Tax
Act, 2017. After all, relief and refund is to be provided on the basis of
documents evidencing export.
Scheme
provided for export cases is hampering the export and is bringing adverse
impact on the economy of the country.
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