Wednesday, October 18, 2017

जीएसटी में टर्नओवर की अवसीमा : THRESHOLD LIMIT OF TURNOVER IN GST

मित्रो !
     संविधान के अनुच्छेद 279A में जीएसटी काउन्सिल से यह अपेक्षा की गयी थी कि वह टर्नओवर की ऐसी अवसीमा (Threshold limit of turnover) की शिफारिश करेगी जिसके नीचे माल और सेवाएं जीएसटी से मुक्त रहेंगी। मेरे विचार से ऐसी अपेक्षा का कारण छोटे कारोबारियों पर जीएसटी  का बोझ डालना रहा था।पर क्या ऐसा हुआ है?
     व्यापार जगत में कारोबारियों के छोटे या बड़े होने का स्तर उनके कारोबार के वार्षिक टर्नओवर से आँका जाता है। वार्षिक टर्नओवर से अभिप्राय उसके द्वारा वर्ष भर में सप्लाई किये गए माल और सेवाओं के मूल्यों के योग से होता है। अवसीमा (threshold) का अर्थ देहली या देहलीज (doorsil) से होता है। इसे एंट्री पॉइंट (Entry Point) कहा जा सकता है। शब्दों "टर्नओवर की सीमा" और "टर्नओवर की अवसीमा" में उतना ही अंतर होता है जितना बस या रेल के डिब्बे के खुले द्वार के  फुटरेस्ट पर चढ़े हुए व्यक्ति और बस के नीचे जमीन पर खड़े व्यक्ति या रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़े हुए व्यक्ति में होता है। पहला व्यक्ति बस या रेल के डिब्बे में सबार हुआ व्यक्ति कहा जा सकता है जबकि दूसरा व्यक्ति, बस या रेल के डिब्बे के कितना भी निकट क्यों न हो, बस या रेल के डिब्बे के बाहर ही माना जायेगा। जीएसटी में टर्नओवर की अवसीमा टर्नओवर की वह न्यूनतम धनराशि होगी जिसके होने पर जीएसटी के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन लेने और कर देने समेत सभी प्राविधान लागू हो जाएंगे और जब तक किसी कारोबारी का किसी वर्ष में इतना टर्नओवर नहीं होता वह जीएसटी के बाहर रहेगा।
     जीएसटी काउन्सिल द्वारा तैयार किये गए मॉडल जीएसटी लॉ के अनुसार केंद्र और राज्यों के जीएसटी कानून बनाये गए हैं। विचारणीय यह है कि क्या जीएसटी काउन्सिल ने किसी संविधान की अपेक्षानुसार "टर्नओवर की अवसीमा Threshold limit of turnover" की शिफारिश की है।
    मेरे विचार से ऐसा नहीं रहा है। काउन्सिल सचिवालय द्वारा २५ नबम्बर २०१६ को जारी मॉडल लॉ ड्राफ्ट में ऐसा कोई प्राविधान नहीं रहा था।  केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, २०१७ या राज्य माल और सेवा कर अधिनियम, २०१७ की धारा २२ में जिस सकल वार्षिक टर्नओवर (annual gross turnover) २० लाख रूपया या १० लाख रूपया (विशिष्ट श्रेणी राज्यों के लिए) का उल्लेख है वह संविधान में संदर्भित टर्नओवर की अवसीमा नहीं है क्योंकि -
1.   अधिनियमों की धारा 24 में दी गयी विभिन श्रेणी के कारोबारियों के मामलों में यह सीमा लागू नहीं है। इस सीमा से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों पर भी जीएसटी लागू किया गया है; और
2. धारा 22 में उल्लिखित टर्नओवर से अधिक टर्नओवर होने पर रजिस्ट्रेशन लेना है, अर्थात 20 या 10 लाख का टर्नओवर मकान की देहरी, दहलीज या फिर बस के दरबाजे या रेल के डिब्बे का फुटरेस्ट नहीं हैं।
3. सविधान में अपेक्षित प्राविधान अधिनियमों की धारा 23, जो रजिस्ट्रेशन का दायित्व न होने के सम्बन्ध में  है किया जा सकता था।
      ऐसा भी नहीं है कि जीएसटी काउन्सिल के स्तर पर यह सोच रही हो कि संविधान के अनुच्छेद 279A के क्लॉज (4) का सब-क्लॉज (d) अंतर्राज्यीय सप्लाई के लिए नहीं है क्योंकि काउन्सिल की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने हस्तशिल्प वस्तुओं की अंतर्राज्यीय सप्लाई करने वाले कारोबारियों जिनका अखिल भारतीय स्तर पर ऐसी सप्लाइज का वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रूपया या 10 लाख रूपया (विशिष्ट श्रेणी राज्यों के लिए) से अधिक नहीं है और सेवाओं की अन्तर्राज्यीय सप्लाई करने वाले कारोबारियों जिनका अखिल भारतीय स्तर पर ऐसी सप्लाइज का वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रूपया या 10 लाख रूपया (विशिष्ट श्रेणी राज्यों के लिए) से अधिक नहीं है के मामलों में अधिनियमों की धारा 23 में दी गयी शक्तियों का प्रयोग कर अलग-अलग विज्ञप्तियां जारी कर रजिस्ट्रेशन से छूट दी है।

      मेरा विचार है कि सरकार को छोटे कारोबारियों की जीएसटी में आयीं कठिनाइयों को समझना चाहिए।  यह एक रोजी-रोटी से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है। हमारे बहुत से बेरोजगार युवा छोटा-मोटा व्यवसाय ई-कॉमर्स के माध्यम से भी कर रहे हैं, जीएसटी रजिस्ट्रेशन के अभाव में उनका यह कारोबार बंद हो गया है।  विशेष रूप से जबकि संविधान की मंशा छोटे कारोबारियों को जीएसटी से बाहर रखने की रही है, छोटे कारोबारियों को संरक्षण मिलना चाहिए। अन्यथा भी अन्य देशों की तुलना में जीएसटी से बाहर रखने के लिए टर्नओवर की सीमा बहुत कम निर्धारित है।
GST CONSTITUTIONAL
                Sub-clause (d) of clause (4) of Article 279A, makes mandatory for the Goods and Services Tax Council to make its recommendation to Union and the States on the threshold limit of turnover below which goods and services may be exempted from goods and services tax. Sub-clause (c) of the same clause of the same article also makes mandatory for the Council to make its recommendations to the Union and the States on the model Goods and Services Tax Laws, principles of levy, apportionment of Goods and Services Tax levied on supplies in the course of inter-State trade or commerce under article 269A and the principles that govern the place of supply.  Relevant portion of article 279A of the Constitution is reproduced hereunder:
279A.
 (1) ...
(2) ...
(3) ...
(4) The Goods and Services Tax Council shall make recommendations to the Union and the States on—
(a) ...
(b) ...
(c) model Goods and Services Tax Laws, principles of levy, apportionment of Goods and Services Tax levied on supplies in the course of inter-State trade or commerce under article 269A and the principles that govern the place of supply;
(d) the threshold limit of turnover below which goods and services may be exempted from goods and services tax;

                To my knowledge, the GST Council of India has made its recommendations in the form of Model IGST Law, Model CGST Law and Model SGST Law. On the basis of these model laws, various GST Laws have been enacted.
                In the various laws related to levy and collection of GST, a person, who either is registered or is liable to be registered, has been made liable for payment of tax. Section 22 and section 24 of the CGST Act, 2017 and State GST Acts makes the provision relating to liability of obtaining registration. Sub-section (1) of section 22 of these Acts run as follows:
22. (1)  Every supplier shall be liable to be registered under this Act in the State or Union territory, other than special category States, from where he makes a taxable supply of goods or services or both, if his aggregate turnover in a financial year exceeds twenty lakh rupees:
                Provided that where such person makes taxable supplies of goods or services or both from any of the special category States, he shall be liable to be registered if his aggregate turnover in a financial year exceeds ten lakh rupees.
                Section 24 of the Acts provides the list of categories of persons in whose cases provisions of sub-section (1) of section 22 will not apply and for such persons, it will be mandatory to obtain registration. This section also empowers the Government, on the recommendation of the GST Council, to notify any other category of persons who will also be so liable.
                A simultaneous reading of provisions of section 22 and 24 of the Acts reveals that no recommendation has been made by the GST Council on the threshold limit of turnover, as required by sub-clause (d) of clause (4) of article 279A of the Constitution.



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