Thursday, November 2, 2017

कैसे जाने कि करमुक्त बिक्री या सप्लाई क्या है : HOW TO IDENTIFY AN EXEMPT SUPPLY OF GOODS

  
मित्रो!
      जीएसटी में कतिपय सप्लाई के कर योग्य या कर मुक्त होने के सम्बन्ध में भ्रम की स्थिति बनी हुयी है। यहां पर इन दोनों प्रकार की सप्लाइज में विभेद करने के सम्बन्ध में मैं अपने निजी विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा अनुरोध है कि यदि मेरे विचार सम्बंधित अधिनियम या नियमों के विपरीत / भिन्न हैं तब अधिनियम और नियमों में दी गयी व्यवस्था का ही पालन करें।
      माल की कर मुक्त बिक्री या माल या सेवाओं की करमुक्त सप्लाई से क्या अभिप्राय होता है, को जानने के लिए यहां पर हम माल की अंतर्राज्यीय बिक्री पर कर लगाने के क़ानून केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1956 का उदहारण लेते हैं। इस केंद्रीय बिक्रीकर अधियम की कर उदग्रहण (Levy of Tax) से सम्बंधित धारा 6 की उपधारा (1) निम्नप्रकार है।
6. Liability to tax on inter-state sales.-
(1) Subject to the other provisions contained in this Act, every dealer shall, with effect from such date as the Central Government may, by notification in the Official Gazette, appoint, not being earlier than thirty days from the date of such notification, be liable to pay tax under this Act on all sales of goods (other than electrical energy) effected by him in the course of inter-State trade or commerce during any year on and from the date so notified:
         Provided that a dealer shall not be liable to pay tax under this Act on any sale of goods which, in accordance with the provisions of sub-section (3) of section 5, is a sale in the course of export of those goods out of the territory of India.
      यहां पर यह विचारणीय है कि संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची की प्रविष्टि 92A पार्लियामेंट को समाचारों की अंतर्राज्यीय बिक्री के सिवाय अन्य माल की अंतर्राज्यीय बिक्री पर कर लगाने का कानून बनाने का अधिकार देती है। अतः माल की अंतर्राज्यीय बिक्री पर कर लगाने का कानून, समाचार पत्रों की अंतर्राज्यीय बिक्री पर लागू नहीं होगा। इसके अतिरिक्त दो प्रकार के संव्यवहार उपर्युक्त उपधारा (1) से बाहर रखने का प्राविधान किया गया है :
(i) विद्युत् ऊर्जा की अंतर्राज्यीय बिक्री;
(ii) फार्म एच के विरुद्ध की जाने वाले किसी भी माल की केंद्रीय बिक्री क्योंकि केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम की धारा (5) की उपधारा (3) में ऐसी बिक्री निर्यात के क्रम में परिभाषित की गयी है।
      चूंकि अधिनियम केवल केंद्रीय बिक्री (अंतर्राज्यीय बिक्री) पर लागू होता है अतः यह सभी प्रकार के माल की निम्नलिखित प्रकार की बिक्रियों पर लागू नहीं होता है:
1. माल की प्रान्त या यूनियन टेरिटरी के अंदर होने वाली बिक्री जिसमें फार्म एच के विरुद्ध बिक्री जो अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (3) में निर्यात के दौरान बिक्री परिभाषित की गयी है भी शामिल है;
2. भारत के बाहर निर्यात के अनुक्रम में होने वाली बिक्री; तथा
3. भारत राज्य-क्षेत्र के अंदर आयात  के अनुक्रम में होने वाली बिक्री।
      ऐसी समस्त बिक्रियों जिन पर केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम लागू नहीं होता को केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के अंतर्गत "sales not liable to tax under the Act" कहा जायेगा।  इन बिक्रियों को छोड़ कर शेष बिक्रियां अंतर्राज्यीय बिक्रियां रह जातीं हैं।  इन अंतर्राज्यीय बिक्रियों पर केंद्रीय बिक्रीकर लग सकता है। ऐसी बिक्रियां जिन पर अधिनियम के अंतर्गत कर लग सकता है को "sales liable to tax under the Act" संदर्भित किया जायेगा। जनता पर कोई भी कर लगाते समय सामाजिक-आर्थिक जटिलताओं (Socio-economic complexities) का ध्यान में रखा जाना होता है। ऐसी स्थिति में सरकार किन्हीं वस्तुओं की बिक्री पर कर न लगाने अथवा लगाए कर से छूट देने का निर्णय ले सकती है। जिन बिक्रियों पर कर न लगाने अथवा लगाए गए कर के भुगतान से छूट देने का प्राविधान अधिनियम में किया जाता है वे बिक्रियां कर मुक्त बिक्रियां कहलातीं है। शेष बचीं बिक्रियां कर योग्य बिक्रियां (taxable sales) कहलातीं हैं। These sales may be referred to as the sales leviable to tax.
      इस प्रकार हम देखते हैं की कर मुक्त बिक्रियां दो तरह की होतीं हैं।  पहले प्रकार की वे बिक्रियां हैं जिन पर कानून ही लागू नहीं होता, दूसरे प्रकार की वे बिक्रियां हैं जिन पर कानून के अंतर्गत कर लगाया जा सकता है किन्तु कर नहीं लगाया गया है; अथवा लगाए गए कर की दर निल या शून्य होने से कर की धनराशि निल (NIL) या शून्य है; अथवा लगाए गए सम्पूर्ण कर की धनराशि के भुगतान से कर दाता को छूट दे दी गयी है। First kind of sales are exempt because they are not liable to tax under the Act, they are beyond the purview of the Act. Second type of sales are within the purview of Act but they are exempt because tax has not been levied on them. Though these sales prima facie are liable to tax yet they are not leviable to tax. (kindly note the difference in between "liable to tax" and "leviable to tax.")
      पहले प्रकार की कर मुक्त बिक्रियों के टर्नओवर को कारोबारी के कारोबार के स्तर को जानने के लिए प्रयोग किया जा सकता है किन्तु अधिनियम के अंतर्गत कर निर्धारण कार्यवाही के लिए सकल बिक्रय-धन में शामिल नहीं किया जा सकता है। दूसरे प्रकार की कर मुक्त बिक्रियों को अधिनियम के अंतर्गत सकल बिक्रय-धन में शामिल किया जा सकता है किन्तु कर-योग्य बिक्रय-धन में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस आशय की व्यवस्था माननीय उच्चततम न्यायालय द्वारा सर्वश्री ए0 वी0 फर्नांडीज वनाम स्टेट ऑफ़ केरला निर्णय दिनांक अप्रैल 02, 1957 में दी गयी है।  निर्णय का निम्नलिखित अंश महत्वपूर्ण है:-
"There is a broad distinction between the provisions contained in the statute in regard to the exemptions of tax or refund or rebate of tax on the one hand and in regard to the non-liability to tax or non-imposition of tax on the other. In the former case, but for the provisions as regards the exemptions or refund or rebate of tax, the sales or purchases would have to be included in the gross turnover of the dealer because they are prima facie liable to tax and the only thing which the dealer is entitled to in respect thereof is the deduction from the gross turnover in order to arrive at the net turnover on which the tax can be imposed. In the latter case, the sales or purchases are exempted from taxation altogether. The Legislature cannot enact a law imposing or authorising the imposition of a tax thereupon and they are not liable to any such imposition of tax. If they are thus not liable to tax, no tax can be levied or imposed on them and they do not come within the purview of the Act at all. The very fact of their non- liability to tax is sufficient to exclude them from the calculation of the gross turnover as well as the net turnover on which sales tax can be levied or imposed."
" This position is not at all affected by the provision with regard to registration and submissions of returns of the sales tax by the dealers under the Act. The legislature, in spite of its disability in the matter of the imposition of sales tax by virtue of the provisions of Art. 286 of the Constitution, may for the purposes of the registration of a dealer and submission of the returns of sales tax include these transactions in the dealer's turnover. Such inclusion, however, for the purposes aforesaid would not affect the non-liability of these transactions to levy or imposition of sales tax by virtue of the provisions of Art. 286 of the Constitution and the corresponding provision enacted in the Act, as above."
       माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा व्यक्त किये गए इस मत के आधार पर जीएसटी के मामले में सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स एक्ट और इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स एक्ट के अंतर्गत  कर मुक्त सप्लाई को भी समझा जा सकता है। अधिनियम के चार्जिंग सेक्शन (Tax Levy से सम्बंधित प्राविधान) से कोई सप्लाई कर योग्य प्रतीत होने के बाद भी कर मुक्त सप्लाई हो सकती है यदि अधिनियम के किसी अन्य प्राविधान में ऐसी सप्लाई पर सम्पूर्ण कर के भुगतान से छूट दी गयी है अथवा कर न लगाने का प्राविधान किया गया है अथवा कर की दर निल (NIL) या शून्य निर्धारित की गयी है। कर की दर निल (NIL) या शून्य कर देने से अदा किये जाने वाले कर (Tax) की धनराशि निल (NIL) या शून्य हो जाती है। ऐसी स्थिति में यह निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता है कि कोई कर लगाया गया है।
       यह ध्यान देने योग्य है कि Central GST Act में taxable supply की परिभाषा अधिनियम के अंतर्गत राज्य के अंदर की जाने वाली कर योग्य सप्लाई के सन्दर्भ में दी गयी है किन्तु सकल टर्नओवर (aggregate turnover) और  करमुक्त सप्लाई (exempt supply) की परिभाषाएं Central GST Act और Integrated GST Act दोनों के सन्दर्भ में अखिल भारतीय स्तर पर (एक ही आयकर PAN रखने वाले सभी प्रतिष्ठानों द्वारा) किये जाने वाले सभी संव्यवहारों के सन्दर्भ में दीं गयीं हैं। इनमें दोनों अधिनियमों के अंतर्गत वे सप्लाइज भी शामिल की गयीं हैं जो दोनों अधिनियमों के अधिक्षेत्र के बाहर हैं।  ऐसा सकल टर्नओवर रजिस्ट्रेशन लेने अथवा लेने का दायित्व तय करने के उद्देश्य से परिभाषित किया गया है। कुछ माल और सेवाओं पर कारोबारियों के कारोबार का स्तर देखते हुए कर से छूट या कर की दर निर्धारित करने में भी सकल टर्नओवर (aggregate turnover) की सहायता ली गयी है। किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में टर्नओवर (turnover in a State or turnover in a Union Territory) की परिभाषा सेन्ट्रल जीएसटी एक्ट (CGST Act) की धारा 2 के क्लॉज (112) में अलग से दी गयी है।
       कर मुक्त बिक्री या सप्लाई ऐसी बिक्री या सप्लाई है जिस पर कर आरोपणीय / उद्गृहणीय नहीं होता है (Sale or supply which is not chargeable/ leviable to tax).  इसके विपरीत कर योग्य बिक्री या सप्लाई ऐसी बिक्री या सप्लाई है जिस पर कर आरोपणीय / उद्गृहणीय होता है (sale or supply which is chargeable/leviable to tax). Central GST Act, 2017 की धारा 2 के क्लाज (108) में पद "taxable supply" निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है।
(108) “taxable supply” means a supply of goods or services or both which is leviable to tax under this Act; 

(108) "कराधेय प्रदाय" से ऐसे माल या सेवाओं या दोनों का प्रदाय अभिप्रेत है, जो इस अधिनियम के अधीन कर से उद्गृहणीय है ;
  

No comments: