मित्रो !
वसंत पंचमी के पावन पर्व पर मैं माँ सरस्वती को प्रणाम करता हूँ। विद्या, वाणी व संगीत की देवी मां सरस्वती सभी को ज्ञान और मधुर वाणी का आशीर्वाद प्रदान कर समस्त जगत का कल्याण करें।
इस अवसर पर प्रस्तुत हैं महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" द्वारा रचित माँ सरस्वती की स्तुति -
वीणा वादिनी वर दे
वीणा वादिनी वर दे वादिनी वर दे॥
प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र नव- भारत में भर दे॥
काट अंध उर के बन्धन स्वर, बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर।
कलुष भेद तम हर प्रकाश भर, जगमग जग कर दे॥
नव गति नव लय ताल छन्द नव, नवल कण्ठ नव जलद मन्द्र रव।
नव नभ के नव विहंग वृन्द को, नव पर नव स्वर दे॥
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