मित्रो !
अच्छी छवि रखने वाले व्यक्ति की अंतरात्मा की अबाज उसे हमेशा सुनाई देती है, वहीँ पर ख़राब छवि वाले व्यक्ति द्वारा अपनी अंतरात्मा की आवाज की उपेक्षा के कारण उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देना बंद हो चुका होता है। व्यक्ति को अन्तरात्मा की आवाज सुनाई देती रहे, इसके लिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी सोच और छवि को साफ़-सुथरा रखे, अमानवीय कृत्यों के करने से बचे और अपने आचरण में दैवीय गुणों को शामिल करे। दैवीय गुणों से मेरा अभिप्राय स्वभाव में दया, क्षमा, विनम्रता, सहनशीलता, भाईचारा, आदि गुणों के होने से है।
मनुष्य की अच्छी और ख़राब छवि का निर्माण उसके विचारों और बाह्य जगत में उसके आचरण से होता है। मेरा मानना है कि व्यक्ति की अपनी अन्तरात्मा और उसकी छवि में गहरा सम्बन्ध होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी अन्तरात्मा की उपेक्षा किये बिना कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता जिससे उसकी छवि ख़राब होती हो।
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