मित्रो !
स्वयं को आईने में देखकर समाज में स्वयं के अच्छा दिखने का निर्णय नहीं किया जा सकता क्योंकि देखने वाली आँखें अपनी होतीं हैं। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए उसे समाज के आईने में अपने को देखना चाहिए।
मेरे विचार से शायद इसी कारण से विवाहित स्त्रियां आईने के सामने सजने-संवरने के बाद भी अपने पति से पूछती हैं कि उनके द्वारा धारण किये हुए वस्त्रों में वे कैसी दिख रहीं हैं। मेरे विचार से अपने को समाज के आईने में देखने का यह सही दृष्टिकोण है।
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