मित्रो !
अंतरात्मा हमारे किसी व्यवहार के सम्बन्ध में ऐसे व्यवहार का उचित या अनुचित होने का आभाष कराकर हमारा मार्गदर्शन करने वाली हमारी आतंरिक शक्ति होती है। अंतरात्मा उचित या अनुचित के अपने निर्णय को मनवाने के लिए हमें बाध्य नहीं करती। उसका कार्य सही और गलत बताने तक सीमित होता है, व्यक्ति का कार्य को करने या न करने का निर्णय अपना होता है। जो व्यक्ति अपनी अंतरात्मा के निर्णय का लगातार विरोध करता है, उसका अंतरात्मा की आवाज़ से ध्यान हट जाता है और उसको अंतरात्मा के निर्णय का ज्ञान नहीं हो पाता।
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