मित्रो !
प्रतिकूल परिस्थितियों के रहते लक्ष्य या उद्देश्य की प्राप्ति संभव नहीं होती। ऐसे में जहाँ उपलब्ध परिस्थितियों में लक्ष्य प्राप्त करना संभव न हो वहाँ लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुकूल परिस्थितयां पैदा करने और जहाँ ऐसा सम्भव न हो वहाँ परिस्थितियों के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करने में ही बुद्धिमानी होती है।
जहाँ परिस्थितियों को नहीं बदला जा सकता वहाँ परिस्थितियों से समझौता कर लेने में ही बुद्धिमानी होती है।
Where circumstances cannot be changed, it is wise to compromise with the circumstances.
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