मित्रो !
चरित्र निर्माण के पथ पर मिलने वाले आकर्षण मनुष्य की बुद्धि को भ्रमित करने का कार्य करते हैं। चरित्र साधना में लगे व्यक्ति को चाहिए कि वह इनकी अनदेखी कर आगे बढ़ जाय। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता वह पथ से भटक जाता है, समाज में प्रतिष्ठा खो देता है और चरित्र की अपनी अर्जित पूँजी भी खो देता है।
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