मित्रो !
दो बच्चों के माँ बाप होकर हम सभी अपने दोनों बच्चों से अपेक्षा करते हैं कि हमारे दोनों बच्चे मिल-जुल कर रहे और आवश्यकता पड़ने पर एक-दूसरे की मदद करें किन्तु विडम्बना यह है कि हम में से अनेक लोग अपने भाई से मिल-जुल कर नहीं रहना चाहते। क्या ऐसा करके हम अपने माँ-बाप का दिल नहीं दुखाते हैं? हम दोहरा चरित्र क्यों जीते हैं?
जिस आचरण का किया जाना हम स्वयं उचित नहीं समझते उस आचरण के किये जाने की अपेक्षा हम अपने बच्चों से क्यों करते हैं?
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