मित्रो
!
मेरे
विचार से जीएसटी कानूनों
के अंतर्गत यदि
संविधान के अनुच्छेद 279A (4) (d) की अपेक्षानुसार
जीएसटी काउन्सिल ने कानूनों
के मॉडल ड्राफ्ट
में "threshold limit of
turnover" के निर्धारित किये जाने
पर विचार किया होता
तब छोटे कारोबारियों
को जीएसटी लगने
पर होने वाली
कठिनाईयां नहीं होतीं।
संविधान
के अनुच्छेद 279A
के क्लॉज (4)
के सब-क्लाज
(d) में जीएसटी
काउन्सिल से यह
अपेक्षा की गयी
थी कि वह
केंद्र और राज्य
सरकारों को "the threshold limit of
turnover below which goods and services may be exempted from goods and services
tax;" पर अपनी संस्तुति
उपलब्ध कराएगी। इसी क्लाज
(4) के सब-क्लाज (सी) में
जीएसटी काउन्सिल से जीएसटी
कानून का मॉडल
ड्राफ्ट उपलब्ध कराये जाने
की अपेक्षा की
गयी थी।
(4) The Goods and Services Tax Council shall make recommendations
to the Union and the States on—
(a) - - -
(b) - - -
(c) model Goods and Services Tax Laws, principles of levy,
apportionment of Goods and Services Tax levied on supplies in the course of
inter-State trade or commerce under article 269A and the principles that govern
the place of supply;
(d) the threshold limit of turnover below which goods and services may
be exempted from goods and services tax;
मेरा मानना
है कि जीएसटी
काउन्सिल ने ऐसी
"threshold limit of turnover" निर्धारित
करने पर विचार
नहीं किया है।
ऐसा माना जाने
के निम्नलिखित कारण
हैं :
१.
जीएसटी काउन्सिल ने सीजीएसटी
की धारा २२
की उपधारा (१)
में जो टर्नओवर
की सीमायें दी
हैं वे कर
लगाए जाने के
सम्वन्ध में हैं।
काउन्सिल से टर्नओवर
की ऐसी सीमा
निर्धारित करनी थी
जिससे टर्नओवर कम
होने पर सभी
माल और सेवाएं,
बिना किसी शर्त
और भेद-भाव
के जीएसटी से
मुक्त रहतीं। जीएसटी काउन्सिल ने
सीजीएसटी की धारा
२२ की उपधारा
(१) में जो
टर्नओवर की सीमायें
दी हैं वह निम्नलिखित
कारणों से सशर्त
है।
(1) सीजीएसटी की
धारा २२ में
उन सभी कारोबारियों
को पंजीयन अनिवार्य
किया गया है
जिनके पास किसी
पुराने अधियम में पंजीयन
या लाइसेंस था।
इनमें ऐसे कारोबारी
भी शामिल हैं
जिनका वर्ष भर
का टर्नओवर २०
लाख रूपया से
कम रहा है।
(२)
सभी कैजुअल टैक्सेबल
परसन्स को पंजीयन
लेना अनिवार्य कर
दिया गया है।
(३)
सभी नॉन-रेजिडेंट
टैक्सेबल परसन्स को पंजीयन
लेना अनिवार्य कर
दिया गया है।
(४)
धारा २४ में
उल्लिखित विशिष्ट प्रकार के
संव्यवहार करने वाले
कारोबारियों को पंजीयन
लेना अनिवार्य कर
दिया गया है।
इसा धारा में
टर्नओवर की लिमिट
लागू न होने
का उल्लेख किया
गया है।
महत्वपूर्ण
यह है कि
संविधान में अपेक्षित
टर्नओवर की लिमिट
करमुक्ति प्रदान करने से
सम्बंधित है और
शर्तों और प्रतिबंधों
से मुक्त है।
जबकि सीजीएसटी की
धारा २२ में
जिस टर्नओवर की
लिमिट का उल्लेख
है वह करदेयता
निर्धारित करने के
संबंध में है
और यह सशर्त
है। संविधान में
अपेक्षित थ्रेशोल्ड लिमिट से
सम्बंधित प्राविधान सीजीएसटी की
धारा २३ (जो
कि persons not liable to
registration से सम्बंधित है) का
विषय है।
संविधान
के अनुच्छेद 279A
के क्लाज (4)
के सबकलाज (d)
के अंतर्गत किया गया
प्राविधान किसी विशिष्ट श्रेणी के
व्यक्तियों को करमुक्ति
देने से संबधित
न होकर सभी व्यक्तियों को सभी
माल और सेवाओं
पर करमुक्ति देने
से सम्बंधित है।
अतः व्यक्तियों का
वर्गीकरण भिन्न-भिन्न श्रेणियों
में करते हुए
भिन्न-भिन्न threshold limits of turnover निर्धारित नहीं की
जा सकतीं हैं अथवा
कुछ व्यक्तियों के मामले में टर्नओवर की लिमिट लागू करने और कुछ व्यक्तियों के मामले
लागू करने का कानून नहीं बनाया जा सकता है। यह विकल्प भी उपलब्ध नहीं है कि टर्नओवर
की वांछित लिमिट प्रस्तावित ही न की जाय क्योंकि क्लाज (4) में "shall" शब्द
का प्रयोग किया गया है।
मेरे विचार से इस विन्दु पर पुनर्विचार करते
हुए बनाये गए जीएसटी एक्ट्स में संशोधन किये जाने की आवश्यकता है।
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