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किसी भी ऐसे देश, जिसमें बेरोजगारी एक समस्या हो, में किसी सेवा निवृत होने जा रहे कर्मचारी को सेवा विस्तार दिया जाना या सेवा में पुनःनियुक्ति किया जाना उचित नहीं कहा जा सकता है। ऐसा करने से बेरोजगारी बढ़ती है, सरकार पर सेवाओं की मद में व्यय भार भी बढ़ता है, साथ ही अन्य कर्मचारियों के प्रोन्नति के अवसर भी प्रतिकूल रूप में प्रभावित होते हैं। यह भी नहीं सोचा जा सकता है सेवा विस्तार दिए जाने वाले व्यक्ति के समतुल्य या उससे बेहतर योग्यता का कोई और व्यक्ति नहीं हो सकता है। सेवा विस्तार या सेवा में पुनःनियुक्ति की आशा में अनेक उच्च पदों पर तैनात अधिकारियों की निष्ठां में भी अंतर आ जाता है, वह नियमित सेवा के अंतिम वर्षों में अपनी निष्ठा उन लोगों में केंद्रित कर देते हैं जिनमें सेवा विस्तार या सेवा में पुनःनियुक्ति दिए जाने की शक्तियां निहित होतीं हैं।
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