मित्रो !
मेरे विचार से वैवाहिक जीवन में आने वाली कटुता और सम्बन्ध विच्छेद का मुख्य कारण पति या पत्नी का अपनी पसन्द या नापसन्द (liking and disliking) से समझौता न कर पाना है। मेरा विचार है कि विवाह सूत्र में बंधने से पहले युगल को खुले मन से इस सम्बन्ध में बात कर लेनी चाहिए। पुराने ज़माने में शादी से पहले यह अवसर लडके - लड़की को उपलब्ध नहीं होता था किन्तु फिर भी जन्म-पत्री और ज्योतिष के आधार पर दोनों के गुणों का मिलान पुरोहित करते थे। अशिक्षित समाज में आज भी यह प्रथा जारी है। आजकल शिक्षित परिवारों में (अपवादों को छोड़कर) एक-दूसरे से वार्ता करने में कठिनाई नहीं है। प्रस्तुत विचार मेरी इसी सोच से प्रेरित है।
"जो व्यक्ति, आदतन, अपनी पसन्द और नापसन्द (liking and disliking) से समझौता (compromise) बिलकुल नहीं कर सकता, उसे विवाह बन्धन से बचना चाहिए क्योंकि वैवाहिक जीवन में कंधे से कन्धा मिलाकर चलने के लिए अनेक स्तरों पर समझौते और समायोजन करने होते हैं।"
अविवाहित के पास इस बिंदु पर विचार करने के लिए अवसर उपलब्ध है किन्तु ऐसे जोड़ों जो वैवाहिक सूत्र में बंध चुके हैं और वे जोड़े जो टूटने की प्रक्रिया में हैं अथवा वे जोड़े जो अपने वैवाहिक जीवन में असहमति को लेकर कठिनाई महसूस कर रहे हैं सभी से मेरा अनुरोध है कि वे मेरी राय पर विचार करें। हो सकता है कि वे इस बात को समझें और उनके सम्बन्ध सामान्य हो जांय। और अगर ऐसा एक भी मामले में होता है तब मुझे बड़ी ख़ुशी मिलेगी।
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