Friday, January 20, 2017

यह कृष्ण आहार विशेषज्ञ (Dietitian) भी है

मित्रो !
भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवद गीता के अध्याय 17 के श्लोक 8 व 9 में निम्प्रकार कहा है :
(1) अध्याय 17, श्लोक 8 आयु: सत्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धना: | रस्या: स्निग्धा: स्थिरा हृद्या आहारा: सात्विकप्रिया: ||8||
āyuh sattva—which promotes longevity; bala — strength; ārogya — health; sukha — happiness; prīti — satisfaction; vivardhanāḥ —increase; rasyā — juicy; snigdhā — succulent; sthirā — nourishing; hidyā — pleasing to the heart; āhārā — food; sāttvika -priyā — dear to saatwiki persons.
जो भोजन सात्विक व्यक्तियों को प्रिय होता है, वह आयु बढ़ाने वाला, जीवन को शुद्ध करने वाला तथा बल, स्वास्थ्य, सुख तथा तृप्ति प्रदान करने वाला होता है। ऐसा भोजन रसमय, स्निग्ध, स्वास्थ्यप्रद तथा ह्रदय को भाने वाला होता है।
Persons of saatwik nature prefer foods that promote the life span, and increase virtue, strength, health, happiness, and satisfaction. Such foods are juicy, succulent, nourishing, and naturally tasteful.

(2) अध्याय 17, श्लोक 9:

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णंरूक्षविदाहि
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः।।
katu—bitter; amla—sour; lavana—salty; ati-ushna—very hot; tīkshna — pungent; ruksha—dry; vidāhinah—chiliful; āhārāh—food; rājasasya—to persons in the mode of passion; ishtāh—dear; duhkha—pain; śhoka—grief; āmaya—disease; pradāh —produce.
अत्यधिक तिक्त (कड़ुए), खट्टे, नमकीन, गरम, चटपटे, शुष्क, तथा जलन उत्पन्न करने वाले भोजन रजोगुणी व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। ऐसे भोजन दुःख, शोक तथा रोग उत्पन्न करने वाले हैं।
Foods that are too bitter, too sour, salty, very hot, pungent, dry, and chiliful, are dear to persons in the mode of passion. Such foods produce pain, grief, and disease.
REQUEST:

For details, friends may read post published by me earlier with title “हमारा भोजन कैसा हो”.


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