Tuesday, February 28, 2017

सामान्य जनों के लिए गीता – 1 : GEETA FOR COMMON MAN - 1

मित्रो !
          श्रीमद भागवद गीता आत्मा के परमात्मा से मिलन का उपाय तो बताती ही है साथ ही जन्म और मृत्यु के बन्धन से मुक्ति पाने का रास्ता भी दिखाती है। किन्तु सामान्य जनों का बौद्धिक ज्ञान का स्तर और आत्म बल इतना नहीं होता कि वे जन्म -मृत्यु के बंधनो से मुक्ति पाने और आत्मा के परमात्मा से मिलन (योग) के गीता में बताये गए मार्ग पर चलने का निर्णय ले सकें। आवश्यक बौद्धिक स्तर और आत्म बल रखने वाले लोगों में से भी बिरले ही इस मार्ग पर चलने का निर्णय लेते हैं। ऐसे में क्या यह मान लेना उचित होगा कि गीता में सामान्य जनो के लिए करने लायक कुछ भी नहीं है ?
         मेरा मानना है कि गीता में सामान्य जनों के लिए कुछ भी करने लायक नहीं है कहने वाला वही व्यक्ति हो सकता है जिसने गीता को नहीं पढ़ा है अथवा जिसने गीता को पढ़ा तो है किन्तु उसे ठीक से समझा नहीं है अथवा वह व्यक्ति जो गीता में लिखे श्लोकों को ईश्वर की आराधना में गए गए भजन या कीर्तन समझता है। इनमें कोई ऐसा हठी भी हो सकता है जो किन्हीं कारणों से जानकर भी अनजान बना रहना चाहता है अथवा जिसे गीता से किन्हीं कारणों से ईष्या है।
         मेरा मानना है कि गीता में दिए गए ज्ञान को व्यवहार में लाकर आसुरी प्रवृतियों पर विजय प्राप्त कर मनुष्य सुखमय जीवन गुजार सकता है, दुखों के कारणों पर नियंत्रण पा सकता है, अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता है, मृत्यु के भय से मुक्त हो सकता है और सभी प्रकार की चिंताओं और तनाव से मुक्ति पा सकता है। गीता हमें कर्म करने के लिए प्रोत्साहित करती है। मनुष्य के अंदर आत्म बल बढ़ाती है। गीता में दिया गया ज्ञान किसी धर्म विशेष के अनुयायियों तक के लिए सीमित नहीं है। यह विज्ञान है। गीता में सभी के लिए अलौकिक ज्ञान है।

        मैं प्रयास करूंगा कि आगे की पोस्ट्स में मैं कुछ पहलुओं को आपके समक्ष रख सकूं।

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