Tuesday, March 21, 2017

माँ का श्रृंगार छीनने का दोषी कौन?

मित्रो!
      तीनो लोकों में न्यारी क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर परी लोक से आने वाली परियां और देवलोक से आने वाले देवता विचरण किया करते थे। क्या यह वही पृथ्वी है जिस पर राम ने जन्म लेकर राक्षसों का विनाश किया था, जहां कृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमर सन्देश दिया था, क्या आदि देव शिव - शंकर  की पावन तपो भूमि यही है।  क्या यही वह पृथ्वी है जिस पर ऋषि - मुनि  साधना और तपस्या किया करते थे, जहाँ अप्सराएं आकर नृत्य किया करतीं थीं।

             हरे-भरे बन, स्वच्छ जल के झरने और कल कल कर बहती स्वच्छ मीठे जल की नदियाँ, हरे भरे घास के मैदान और उन पर छलांग लगाते, कुलाटें भरते हिरणो के छौने और शेरों के शावकरंग-विरंगे फूल और फलों से लदे मस्ती में लहराते पेड़-पौधे यह सब जो पृथ्वी का श्रृंगार थे, कहाँ विलुप्त हो गए।
Meanings: शावक = बच्चे।   छौने = हिरन के बच्चे। 


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