मित्रो !
यह अज्ञानी और नास्तिक की सोच होती है कि वह किसी दूसरे व्यक्ति को धोखा देकर अपनी इच्छित वस्तु उससे पा लेगा। ज्ञानी और आस्तिक यह जानता है कि धोखा देकर किसी से कोई वस्तु प्राप्त करना अपराध है, ईश्वर, सर्वशक्तिमान होने के साथ सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी भी है अतः किसी का कोई भी कृत्य उससे छिपा नहीं रह सकता, वह यह भी जनता है कि कर्त्ता दुष्कृत्य करने से बुरे फल का भागीदार बनता है, अगर दुष्कृत्य करने वाला कोई व्यक्ति किसी समय अच्छा फल भोग रहा है तब ऐसा फल दुष्कृत्य का न होकर उस व्यक्ति द्वारा पूर्व में किये गए किसी सुकृत्य का फल है जिसे अज्ञानतावश पुरुष दुष्कृत्य का फल समझ रहा है।
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