भिन्न-भिन्न कर्मों के फल भी कर्मों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्राप्त होते हैं। अच्छे कर्मों के फल अच्छे और बुरे कर्मों के फल बुरे होते हैं। अच्छे और बुरे फलों का आपस में समायोजन नहीं होता। यह नहीं समझना चाहिए कि एक बार किसी को रुलाने के बाद एक बार उसे हँसा देने से हिसाब बराबर हो जायेगा। यह सोचना गलत है कि जिंदगी भर पाप करने के बाद मृत्यु से पूर्व गरीबों को भोजन करा देने से पापों का प्रभाव मिट जाएगा। कर्मों के फल के रूप में हमें दंड मिलेगा और गरीबों को भोजन करने के फल के रूप में हमें कुछ अच्छा प्राप्त होगा।
ऐसे में हमें चाहिए कि हम अपने दैनिक जीवन में अनपेक्षित करने से बचें और सदैव अपेक्षित ही करें।
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